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December 21, 2024

कोरोना संक्रमित होने पर एक साल तक झेलनी पड़ सकती है ये परेशानी, स्टडी में किया गया खुलासा

कोरोनावायरस महामारी के दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभावों की बेहतर परख के लिए किए गए अध्ययन में नए खुलासे हुए हैं। इसमें पता चला कि कोविड संक्रमित होने पर एक साल तक इसके साइड इफेक्ट रह सकते हैं।

कोरोनावायरस महामारी के दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभावों की बेहतर परख के लिए किए गए अध्ययन में नए खुलासे हुए हैं। इसमें पता चला कि कोविड संक्रमित होने पर एक साल तक इसके साइड इफेक्ट रह सकते हैं। ऐसे लोगों को कम से कम एक साल तक सांस संबंधी परेशानी झेलनी पड़ सकती है। एक नए चीनी अध्ययन के अनुसार, कोविड -19 के लिए अस्पताल में भर्ती होने के एक साल बाद भी मरीजों को थकान और सांस की तकलीफ की परेशानी झेलनी पड़ सकती है।
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल ‘द लैंसेट फ्राइडे’ में प्रकाशित एक स्टडी रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड के बाद अस्पताल से छुट्टी पाने वाले लगभग आधे मरीज अभी भी कम से कम एक लक्षण से लगातार पीड़ित हैं। उनमें 12 महीने के बाद भी सबसे ज्यादा थकान या मांसपेशियों में कमजोरी की समस्या देखने को मिल रही है। लॉन्ग कोविड के रूप में जानी जाने वाली स्थिति पर अब तक के सबसे बड़े शोध में कहा गया है कि डायग्नोसिस के एक साल बाद भी तीन में से एक रोगी में सांस की तकलीफ पाई गई है। स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक, गंभीर रूप से बीमार रोगियों में यह संख्या और भी अधिक देखी गई है।
‘द लैंसेट’ ने स्टडी रिपोर्ट के साथ प्रकाशित संपादकीय में कहा कि बिना किसी सिद्ध उपचार या पुनर्वास मार्गदर्शन के लंबे समय तक कोविड लोगों की सामान्य जीवन को फिर से शुरू करने और काम करने की क्षमता को प्रभावित करता है। अध्ययन से पता चलता है कि कई रोगियों को कोविड -19 से पूरी तरह से ठीक होने में 1 वर्ष से अधिक समय लग सकता है।
मध्य चीनी शहर वुहान में पिछले साल जनवरी से मई के बीच कोविड की वजह से अस्पतालों में भर्ती लगभग 1,300 लोगों पर यह अध्ययन किया गया है। वुहान इस महामारी से प्रभावित पहला शहर है, जहां से निकले वायरस ने दुनिया भर में 21.4 करोड़ लोगों को संक्रमित किया है। इसमें 40 लाख से अधिक लोग मारे गए हैं। स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक कम से कम एक लक्षण वाले रोगियों की हिस्सेदारी छह महीने के बाद 68 प्रतिशत से घटकर 49 प्रतिशत हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि छह महीने के बाद 26 प्रतिशत रोगियों को सांस लेने में तकलीफ थी जो 12 महीने के बाद बढ़कर 30 प्रतिशत हो गई।

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