पेगासस मामले में केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने दिया झटका, जांच के लिए गठित की एक्सपर्ट कमेटी, जानिए क्या है प्रकरण
पेगासस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को झटका देते हुए कहा कि पेगासस केस की जांच होगी। कोर्ट ने जांच के लिए एक्सपर्ट कमेटी का गठन भी कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले में कहा कि केंद्र सरकार का कोई साफ स्टैंड नहीं था।
याचिकाओं में इस बात पर चिंता जताई है कि प्रौद्योगिकी का उपयोग कैसे किया जा सकता है ? प्रेस की स्वतंत्रता के महत्वपूर्ण है, जो लोकतंत्र का महत्वपूर्ण स्तंभ है, पत्रकारों के सूत्रों की सुरक्षा भी जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में इस मामले में कई रिपोर्ट थीं। मामले में कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। तकनीक जीवन को उन्नत बनाने का सबसे बेहतरीन औजार है, हम भी ये मानते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार सबसे ऊंचा है, उनमें संतुलन भी जरूरी है. तकनीक पर आपत्ति सबूतों के आधार पर होनी चाहिए. प्रेस की आजादी पर कोई असर नहीं होना चाहिए। उनको सूचना मिलने के स्रोत खुले होने चाहिए. उन पर कोई रोक ना हो। न्यूज पेपर पर आधारित रिपोर्ट के आधार पर दायर की गई याचिकाओं से पहले हम संतुष्ट नहीं थे, लेकिन फिर बहस आगे बढ़ी। सॉलिसिटर जनरल ने ऐसी याचिकाओं को तथ्यों से परे और गलत मानसिकता से प्रेरित बताया था।
रिटायर्ड जस्टिस के नेतृत्व में बनी कमेटी
पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस आरवी रवींद्रन की अगुवाई में कमेटी का गठन किया है। जस्टिस रवींद्रन के अलावा कमेटी में आलोक जोशी और संदीप ओबेरॉय को शामिल किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कटघरे में खड़ा किया
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश के प्रत्येक नागरिक को उनकी निजता के अधिकार के उल्लंघन से बचाया जाना चाहिए। पेगासस जासूसी का आरोप प्रकृति में बड़े प्रभाव वाला है। अदालत को सच्चाई का पता लगाना चाहिए। कमेटी में IPS आलोक जोशी भी शामिल हैं। कोर्ट ने केंद्र को कटघरे में खड़ा किया और कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को उठाकर सरकार को हर बार फ्री पास नहीं मिल सकता। न्यायिक समीक्षा के खिलाफ कोई सर्वव्यापी प्रतिबंध नहीं है। केंद्र को यहां अपने रुख को सही ठहराना चाहिए था। अदालत को मूकदर्शक बनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए थी।
सरकार इस मुद्दे पर जोखिम नहीं उठा सकती : सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने कहा था कि सरकार इस मुद्दे को सनसनीखेज बनाने का जोखिम नहीं उठा सकती। नागरिकों की निजता की रक्षा करना भी सरकार की प्राथमिकता है, लेकिन साथ ही सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को बाधित नहीं कर सकती। ऐसी सब तकनीक खतरनाक होती हैं। इंटरसेप्शन किसी तरह गैर कानूनी नहीं है. इन सबकी जांच एक विशेषज्ञ समिति से कराने दें। इन डोमेन विशेषज्ञों का सरकार से कोई संबंध नहीं होगा। उनकी रिपोर्ट सीधे सुप्रीम कोर्ट के पास आएगी। केंद्र ने कहा कि हम हलफनामे के जरिए ये जानकारी सार्वजनिक नहीं कर सकते। अगर मैं कहूं कि मैं किसी विशेष सॉफ्टवेयर का उपयोग कर रहा हूं या इसका उपयोग नहीं कर रहा हूं तो यह आतंकवादी तत्वों को तकनीक का काट लाने का मौका देगा।
सुनवाई के दौरान CJI ने केंद्र से जताई थी नाराजगी
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस मुद्दे पर केंद्र सरकार से नाराजगी जताई थी। CJI रमना ने कहा कि आप बार-बार उसी बात पर वापस जा रहे हैं। हम जानना चाहते हैं कि सरकार क्या कर रही है। हम राष्ट्रीय हित के मुद्दों में नहीं जा रहे हैं। हमारी सीमित चिंता लोगों के के बारे में है। समिति की नियुक्ति कोई मुद्दा नहीं है। हलफनामे का उद्देश्य यह होना चाहिए ताकि पता चले कि आप कहां खड़े हैं। संसद में आपके अपने आईटी मंत्री के बयान के अनुसार कि फोन का तकनीकी विश्लेषण किए बिना आकलन करना मुश्किल है। CJI ने 2019 में तत्कालीन आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद के बयान का हवाला दिया। उसमें भारत के कुछ नागरिकों की जासूसी का अंदेशा जताया गया था। मेहता ने वर्तमान आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव के संसद में दिए बयान का हवाला दिया। सरकार ने किसी भी तरह की जासूसी का खंडन किया है। सीजेआई ने आगे कहा कि हमने केंद्र को हलफनामे के लिए बार-बार मौका दिया। अब हमारे पास आदेश जारी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। समिति नियुक्त करना या जांच करना यहां सवाल नहीं है अगर आप हलफनामा दाखिल करते हैं तो हमे पता चलेगा कि आपका स्टैंड क्या है।
स्पाइवेयर पूरी तरह अवैध : कपिल सिब्बल
याचिकाकर्ता एन राम के लिए वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि ये सरकार की जिम्मेदारी है कि वो जवाब दे। नागरिकों की निजता का संरक्षण करने सरकार का कर्तव्य है। स्पाइवेयर पूरी तरह अवैध है। अगर सरकार अब कहती है कि हलफनामा दाखिल नहीं करेगी तो माना जाना चाहिए कि पेगासस का अवैध इस्तेमाल हो रहा है।
केंद्र सरकार ने दिया था राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला
सुप्रीम कोर्ट ने 13 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि वह केवल यह जानना चाहता है कि केंद्र ने नागरिकों की कथित तौर पर जासूसी करने के लिए गैरकानूनी तरीकों से पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया या नहीं। केंद्र ने जासूसी विवाद की स्वतंत्र जांच के लिए दायर याचिकाओं पर राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए विस्तृत हलफनामा दाखिल करने से दृढ़तापूर्वक इनकार कर दिया था।
पेगासस का इस्तेमाल कर जासूसी करने का आरोप
स्वतंत्र जांच का अनुरोध करने वाली याचिकाएं उन खबरों से संबंधित हैं, जिसमें सरकारी एजेंसियों पर कुछ प्रतिष्ठित नागरिकों, नेताओं और पत्रकारों की इजराइली कंपनी एनएसओ के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस का इस्तेमाल कर जासूसी करने का आरोप है। एक इंटरनेशनल मीडिया एसोसिएशन ने खबर दी थी कि पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हुए जासूसी की संभावित सूची में 300 से अधिक पुष्ट भारतीय मोबाइल फोन नंबर थे।
भारत में ये थे संभावित टारगेट
बता दें, द वायर की रिपोर्ट में बताया गया है कि कांग्रस नेता राहुल गांधी, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर, दो केंद्रीय मंत्री, टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी और 40 भारतीय पत्रकार जासूसी के संभावित टारगेट थे। इसके साथ ही उद्योगपति अनिल अंबानी के साथ एडीए समूह के एक वरिष्ठ अधिकारी का फोन भी कथित रूप से हैक किये जाने की आशंका जतायी गयी है। यह लिस्ट भारत की एक अज्ञात एजेंसी की है, जो कि इयरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप का स्पाइवेयर Pegasus यूज करती है। एनएसओ का कहना है कि यह अपना Pegasus स्पाइवेयर केवल ‘जांची-परखी सरकारों’ को ही आतंक से लड़ने के मकसद से देती है. किसी भी प्राइवेट कंपनी को यह स्पाइवेयर नहीं दिया जाता है।
भारत सरकार ने किया था इनकार
हालांकि, भारत सरकार ने इसमें अपनी भूमिका से साफ इनकार किया है। वहीं, कांग्रेस समेट विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे को लेकर मोदी सरकार को घेर रही हैं। कांग्रेस ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से इस्तीफे की मांग करते हुए पीएम मोदी की इसमें भूमिका की जांच की मांग भी की थी।
ये हुआ था खुलासा
भारतीय मंत्रियों, विपक्षी नेताओं और पत्रकारों के फोन नंबर उस लीक डाटाबेस में पाए गए हैं, जिन्हें इजरायली स्पाईवेयर पेगासस Pegasus के इस्तेमाल से हैक किया गया है। द वायर सहित 16 मीडिया संस्थानों की पड़ताल में यह जानकारी सामने आई थी। करीब एक सप्ताह पहले प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया था कि लीगल कम्यूनिटी मेंबर्स, बिजनेसमैन, सरकारी अधिकारी, वैज्ञानिक, कार्यकर्ताओं और अन्यों के नंबर इस लिस्ट में शामिल हैं। इस लिस्ट में 300 से ज्यादा भारतीय मोबाइल नंबर हैं। हिंदुस्तान टाइम्स, इंडिया टुडे, नेटवर्क 18, द हिंदू और इंडियन एक्सप्रेस सहित बड़े मीडिया संस्थानों के बड़े पत्रकारों को भी निशाना बनाया गया है।
चुनावों के दौरान बनाया गया निशाना
द वायर (The Wire) के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि 2019 के लोकसभा आम चुनावों से पहले 2018 और 2019 के बीच ज्यादातर को निशाना बनाया गया। पेगासस को बेचने वाली इजरायली कंपनी NSO ग्रुप का दावा है कि वह अपने स्पाईवेयर केवल अच्छी तरह से जांची-परखी सरकारों को ही ऑफर करती है।
क्या है पेगासस
पेगासस को बनाने वाले एनएसओ ग्रुप ने अपनी ट्रांसपेरेंसी और रिस्पॉसिबिलिटी रिपोर्ट 2021 में कहा है कि इसके उत्पाद सार्वजनिक सुरक्षा को बनाए रखने के लिए पूरी तरह से सत्यापित सरकारी एजेंसियों के इस्तेमाल के लिए ही बने हैं। कंपनी कहती है कि हम पेगासस का लाइसेंस केवल स्वीकृत, सत्यापित और अधिकृत सरकारों और सरकारी एजेंसियों को देते हैं। विशेष रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रमुख कानूनी जांच में उपयोग किए जाने के लिए।
वर्ष 2016 से मौजूद है ये स्पाइवेयर
पेगासस को इज़राइल स्थित साइबर इंटेलिजेंस और सुरक्षा फर्म NSO ग्रुप की ओर से विकसित किया गया था। माना जाता है कि यह स्पाइवेयर 2016 से ही मौजूद है और इसे क्यू सूट और ट्राइडेंट जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है। बाजार में उपलब्ध ऐसे सभी उत्पादों में सबसे परिष्कृत माना जाता है। यह ऐप्पल के मोबाइल फोन ऑपरेटिंग सिस्टम आईओएस और एंड्रॉइड डिवाइसों में घुस सकता है। पेगासस का इस्तेमाल सरकार की ओर से लाइसेंस के आधार पर किया जाना था। मई 2019 में, इसके डेवलपर ने सरकारी खुफिया एजेंसियों और अन्य के लिए पेगासस की बिक्री सीमित कर दी थी।
कंपनी का ये है दावा
एनएसओ ग्रुप की वेबसाइट के होम पेज के अनुसार कंपनी ऐसी तकनीक बनाती है जो दुनिया भर में हजारों लोगों की जान बचाने के लिए आतंकवाद और अपराध को रोकने और जांच करने में मदद के लिए सरकारी एजेंसियों की मदद करती है।
ऐसे काम करता है पेगासस स्पाईवेयर
– इज़रायल के NSO ग्रुप ने पेगासस स्पाईवेयर बनाया
– आईफ़ोन और एंड्रॉयड फोन में घुसपैठ करने में सक्षम
– Whatsapp में एक खामी का पेगासस ने इस्तेमाल किया
– हानिकारक लिंक या मिस्ड Whatsapp वीडियो कॉल से ऐक्टिवेट
– स्पाईवेयर फ़ोन के बैकग्राउंड में चुपचाप सक्रिय
– फ़ोन के कॉन्टैक्ट, मैसेज, डेटा तक पूरी पहुंच
– माइक्रोफ़ोन और कैमरा भी ऑन कर सकता है
– Whatsapp ने अपनी खामी अब सुधार ली है
फोन में घुसता है स्पाईवेयर
– Whatsapp पर वीडियो कॉल आती है
– एक बार फ़ोन की घंटी बजते ही हमलावर हानिकारक कोड भेज देता है
– ये स्पाईवेयर फ़ोन में इंस्टॉल हो जाता है
– ऑपरेटिंग सिस्टम पर कब्ज़ा कर लेता है
– मैसेज, कॉल, पासवर्ड तक स्पाईवेयर की पहुंच
– माइक्रोफ़ोन और कैमरा तक भी स्पाईवेयर की पहुंच
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।