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December 22, 2024

कुतुब मीनार परिसर में खुदाई की खबरें महज अफवाह, केंद्र सरकार ने साफ की स्थिति

इन दिनों मस्जिद और मंदिर के विवाद अचानक बढ़ने लगे हैं। इतिहास के पन्नों की अपनी तरह से व्याख्या की जा रही है। इस लड़ाई में वे लोग भी कूद पड़े हैं, हो सकता है जिन्होंने आज तक इतिहास की किताब भी ना पड़ी हो।

इन दिनों मस्जिद और मंदिर के विवाद अचानक बढ़ने लगे हैं। इतिहास के पन्नों की अपनी तरह से व्याख्या की जा रही है। इस लड़ाई में वे लोग भी कूद पड़े हैं, हो सकता है जिन्होंने आज तक इतिहास की किताब भी ना पड़ी हो। सिर्फ व्हाट्सएप इंडस्ट्रीज में फैलाई जा रही भ्रांतियों के आधार पर ही वे राय बना रहे हैं। ऐसे लोगों को ना तो महंगाई की चिंता है। ना ही रोजगार की। जो सरकारी सेवाओं से सेवानिवृत्त हैं, उनके लिए तो टाइमपास का साधन मिल गया है। खुद सरकारी नौकरी में जीवन घिस दिया, अब उन्हें सरकारी दफ्तरों में ईमानदारी से कामकाज होता नजर नहीं आता। वे अब निजीकरण की बात करते हैं। वहीं, नेता लोग मंदिर और मस्जिद की चर्चा आमजन से तो करा रहे हैं, उन्हें आपस में लड़ा रहे हैं, लेकिन ये भी सच है कि ऐसी सांप्रदाय की आग से उन्होंने अपने बच्चों को दूर रखा है। उनके बच्चे विदेशों में या फिर अच्छे स्कूलों में शिक्षा ले रहे हैं और दूसरों के बच्चों में नफरत के बीच बोकर उन्हें हिंसा की प्रवृति की ओर धकेल रहे हैं। ताकि रोजगार, महंगाई, शिक्षा व्यवस्था पर सवाल करने की बजाय सब मंदिर मस्जिद पर उलझ कर रह जाएं।
कुतुब मीनार की खुदाई की खबर झूठी
दिल्ली स्थित कुतुब मीनार के परिसर में खुदाई को लेकर लगाए जा रहे सभी कयासों पर रविवार को केंद्रीय संस्कृति मंत्री जीके रेड्डी ने विराम लगा दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह का कोई निर्णय नहीं लिया गया है। दरअसल, कई मीडिया रिपोर्ट ये दावा कर रहे थे कि संस्कृति मंत्रालय ने ऐतिहासिक कुतुब मीनार परिसर के अंदर लगी मूर्तियों का आईकॉनोग्राफी कराने का निर्देश दिया है। साथ मस्जिद से 15 मीटर की दूरी पर कुतुब मीनार के दक्षिण में खुदाई भी शुरू की जा सकती है। खबर थी कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को उत्खनन शुरू करना है और संस्कृति मंत्रालय को रिपोर्ट करनी है।
हालांकि, इस संबंध में एएनआई से बात करते हुए केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि मंत्रालय ऐसा कुछ करने का नहीं सोच रहा। इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया है। दरअसल, संस्कृति सचिव गोविंद मोहन शनिवार को स्मारक का दौरा किया था, जिसके बाद ऐसी खबरें आने लगीं कि एएसआई को यह पता लगाने के लिए खुदाई करने का आदेश दिया गया है। ऐसी रिपोर्ट आ रही थी कि खुदाई में ये पता लगाया जाना है कि कुतुब मिनार कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा बनाया गया था या चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने इसका निर्माण किया।
हालांकि, इंडियन एक्सप्रेस की मानें तो पूरे मामले में मंत्रालय ने कहा कि अधिकारियों द्वारा नियमित रूप से साइट का दौरा किया है। खुदाई के संबंध में अब तक ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है। गौरतलब है कि दिल्ली की एक अदालत ने पिछले महीने एएसआई को अगले निर्देश तक कुतुब मीनार परिसर से भगवान गणेश की दो मूर्तियों को नहीं हटाने का निर्देश दिया था।
27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़ा गया
अदालत ने जैन देवता तीर्थंकर भगवान ऋषभ देव की ओर से वकील हरि शंकर जैन द्वारा दायर एक मुकदमे पर ये आदेश पारित किया था। उक्त मुकदमे में दावा किया गया था कि 27 मंदिरों को आंशिक रूप से मोहम्मद गौरी की सेना में एक जनरल कुतुबदीन ऐबक और कुव्वत-उल-इस्लाम द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था। सामग्री का पुन: उपयोग करके परिसर के अंदर मस्जिद को बनाया गया था।
गौरतलब है कि हाल ही में, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के प्रवक्ता विनोद बंसल ने भी दावा किया कि कुतुब मीनार वास्तव में “विष्णु स्तम्भ” था। उन्होंने कहा कि 27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़कर इकट्ठा हुए सामग्री से स्मारक का निर्माण किया गया था।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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