Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

April 19, 2025

यूक्रेन से लौटे छात्रों के बीच रक्षा राज्य मंत्री ने लगवाए पीएम मोदी जिंदाबाद के नारे, छात्र रहे चुप, देखें वीडियो

यूक्रेन के कई हिस्सों में फंसे छात्र बमबारी से बचते हुए किसी तरह सीमा पार कर निकटवर्ती देशों में पहुंच रहे हैं और जब उन्हें भारत लाया जा रहा है तो इस पर राजनीति भी खूब हो रही है।

यूक्रेन के कई हिस्सों में फंसे छात्र बमबारी से बचते हुए किसी तरह सीमा पार कर निकटवर्ती देशों में पहुंच रहे हैं और जब उन्हें भारत लाया जा रहा है तो इस पर राजनीति भी खूब हो रही है। हालांकि चाहे खाड़ी युद्ध हो या फिर दूसरे मामले, हर बार सरकारों की ओर से भारत के यात्रियों को युद्ध की स्थिति में सकुशल स्वदेश लाया गया। इस बार यूक्रेन पर रूस के हमले के दौरान वहां से पलायन कर रहे छात्रों को लाने का श्रेय लेना भी सरकार नहीं भूल रही है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री अजय भट्ट ने युद्धग्रस्त यूक्रेन से लौटने वाले बच्चों के सामने एक वायु सेना के विमान में पीएम मोदी जिंदाबाद के नारे लगाए। इसका एक वीडियो आने के बाद विवाद गहरा गया है। दरअसल, मंत्री के विमान में मोदी जी जिंदाबाद के नारा लगाने के बाद छात्रों ने कुछ देर लिए चुप्पी साध ली थी। पहली बार में तो किसी छात्र ने जिंदाबाद नहीं बोला, लेकिन मंत्री के दूसरी बार नारा लगाने के बाद कुछ छात्रों ने उनके साथ जिंदाबाद के नारे लगाए।
वीडियो में दिख रहा है कि केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट छात्रों को संबोधित कर रहे हैं। वह एक एक नीली जैकेट और एक टोपी पहने हुए हैं। इस दौरान वह छात्रों के सामने कहते हैं कि वह बिल्कुल चिंता न करें। जीवन बच गया है. सब ठीक होगा। भारत माता की जय…माननीय मोदी जी जिंदाबाद। जब वह माननीय मोदी जी जिंदाबाद कह रहे थे, तो छात्रों ने पहले जिंदाबाद के नारे नहीं लगाए। हालांकि, बाद में कुछ छात्रों ने मंत्री के नारे लगाने के बाद उन्होंने भी जिंदाबाद बोला। रोमानिया के बुखारेस्ट और हंगरी के बुडापेस्ट से 210 यात्रियों को लेकर दो सी-17 परिवहन विमान हिंडन में उतरा था। इस दौरान मंत्री ने भी छात्रों को संबोधित किया और बताया कि किस तरह भारत सरकार को उनकी चिंता थी।

कांग्रेस ने यूक्रेन में एक और भारतीय छात्र के कथित तौर पर गोली लगने से घायल होने की घटना को लेकर शुक्रवार को सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि यूक्रेन में भारतीय छात्र खतरे में हैं, लेकिन केंद्र सरकार पीआर एजेंसी बनी हुई है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया कि- एक और भारतीय छात्र को गोली लगीष यूक्रेन-रूस युद्ध में बच्चों पर हर पल ख़तरा है। मग़र मोदी सरकार सिर्फ़ पीआर एजेंसी बनी हुई है।
भारतीय छात्रों की गुहार, नहीं मिल रहा खाना पानी, हमें निकालें
युद्ध प्रभावित पूर्वी यूक्रेन में फंसे भारतीय स्‍टूडेंट के एक ग्रुप ने उन्‍हें पश्चिमी सीमा पर ले जाने के लिए मदद की अपील की है। ताकि वे यहां से पड़ोसी देश में प्रवेश कर सकें और वहां से उनकी सुरक्षित घर वापसी संभव हो सके। भारत सरकार की ओर से यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव को छोड़ने की अर्जेंट एडवाइजरी के बाद ये स्‍टूडेंट पिछले दो दिन से पिसोचिन (Pisochyn) में हैं। खारकीव पर रूस की ओर से लगातार गोलाबारी और मिसाइल हमला किया गया है। स्‍टूडेंट्स का कहना है कि इन्‍होंने दो दिन से कुछ खाया नहीं है। इलाके में भारी बर्फबारी हो रही है और तापमान जमाव बिंदु से भी नीचे माइनस में पहुंच गया है। ऐसी में ये स्‍टूडेंट तमाम परेशानियों को सामना कर रहे हैं।
छात्रों ने शेयर की व्यथा
ग्रुप के एक छात्र ने वीडियो मैसेज में कहा-हम पिछले दो दिन से यहां बिना खाने-पानी के फंसे हुए हैं। करीब एक हजार स्‍टूडेंट यहां अटके हैं। कांटेक्‍टर लीव जाने की बस के लिए 500 से 700 डॉलर की मांग कर रहा है। हमें दूतावास की ओर से कोई अपडेट नहीं मिला है। छात्र ने कहा कि हमें कहा गया था कि यदि हमें बस नहीं मिलती तो हमें पैदल रेलवे स्‍टेशन जाना चाहिए और शहर से बाहर की ट्रेन लेनी चाहिए।
दूतावास ने कहा रुकने को
एक अन्‍य स्‍टूडेंट ने कहा कि-दूतावास में हमारा जिससे संपर्क हुआ, उसने हमें चलने के लिए नहीं, बल्कि रुकने को कहा, क्‍योंकि यह खतरनाक है। हमें समझ नहीं आ रहा, क्‍या करें? हमें विरोधाभासी खबरें मिल रही हैं, कुछ भी स्‍पष्‍ट नहीं है। दूतावास की ओर से कहा जाता है-हम कर रहे हैं, हम कर रहे हैं। लेकिन क्‍या? तापमान तेजी से नीचे गिरता जा रहा है। आप यहां बर्फबारी देख सकते हैं। दूसृरे स्‍टूडेंट ने गुहार लगाई-कृपया किसी तरह हमें घर पहुंचाइए।
दूतावास ने जारी की थी चेतावनी
भारतीय दूतावास ने पिछले सप्‍ताह खारकीव, सुमी और कीव में भारी संघर्ष को लेकर चेतावनी जारी की थी। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि सुमी में ट्रेन और बसें चलनी बंद हो गई हैं। शहर से बाहर पहुंचाने वाले रास्‍ते और ब्रिज तबाह गए हैं और यहां सड़क पर जोरदार संघर्ष चल रहा है। इस बीच केंद्र सरकार ने युद्ध प्रभावित यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों को देश वापस लाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। सरकार ने गुरुवार को यूक्रेन के खारकीव शहर में रह रहे भारतीय नागरिकों से एक फॉर्म भरने की अपील की थी, ताकि निकासी के काम में तेजी लाई जा सके। सूत्रों ने बताया कि खारकीव अब व्‍यावहारिक तौर पर रूस के नियंत्रण में है और रूसी शहर से भारतीयों को बाहर निकालने में मदद कर रहे हैं।
खाड़ी युद्ध के दौरान भी लाए गए थे पौने दो लाख भारतीय नागरिक
दो अगस्त 1990 को खाड़ी युद्ध शुरू होने के बाद वहां फंसे पौने दो लाख भारतीयों को सुरक्षित तत्कालीन सरकार ने निकाला था। इसके लिए विदेश मंत्री इंदर कुमार गुजराल, अतिरिक्त सचिव आईपी खोसला बग़दाद पहुंचे थे। जहां गुजराल की मुलाक़ात सद्दाम हुसैन से हुई। इस मुलाकात में सद्दाम हुसैन ने गुजराल को गले लगाया था और बातचीत बहुत अच्छी रही थी। इसके बाद सद्दाम ने भारतीयों के रेस्क्यू ऑपरेशन करने की इजाजत दे दी।
तब उस वक्त के भारत के दूतावास के कर्मचारी अपना दफ्तर बंद कर के भागे नही थे, बल्कि तब एम्बेसी के अधिकारी रोज वहां के लोकल बस प्रोवाइडर्स से संपर्क करते थे और रिफ्यूजीज को बसरा, बगदाद और अमान होते हुए 2000 किमी. दूर पहुंचाते थे। इस काम में हर रोज 80 बसें लगती थीं। एयर इंडिया की मदद से चलाया गया पोने दो लाख भारतीयों को निकालने का यह अभियान दुनिया का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन माना जाता है। इस रेस्क्यू ऑपरेशन के असली हीरो एयर इंडिया का चालक दल, एम्बेसी के कर्मचारी और राजनयिक थे। उस वक्त किसी नेता ने आज की तरह न तो फोटो खिंचवाई और न ही अपनी और सरकार की पीठ थपथपाई।

Website |  + posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page