पत्नी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे पति ने कहा-मेरी पत्नी महिला नहीं है, उसका जननांग पुरुष का, पत्नी को नोटिस जारी
सुप्रीम कोर्ट में एक व्यक्ति पत्नी के खिलाफ शुक्रवार को पहुंचा था और उसने पत्नी पर महिला न होने के आरोप लगाए थे। अब तलाक की मांग करने वाले पति की याचिका पर एक पत्नी को नोटिस जारी किया है।

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील ने हमारा ध्यान अन्य बातों के साथ पेज 39 पर इस तर्क पर ध्यान आकर्षित किया कि प्रतिवादी का चिकित्सा इतिहास पुरुष का प्राइवेट पार्ट और इम्परफोरेट हाइमन दिखाता है। इसलिए प्रतिवादी महिला नहीं है। उस व्यक्ति ने मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय, ग्वालियर में बेंच द्वारा पारित 29 जुलाई 2021 के फैसले को चुनौती दी है। इसके तहत ट्रायल कोर्ट के आदेश दिनांक 6 मई 2019 को प्रतिवादी के खिलाफ संज्ञान लेते हुए याचिकाकर्ता (पति) की ओर से दायर की गई निजी शिकायत को खारिज कर दिया गया था। ट्रायल कोर्ट ने इस आधार पर याचिका खारिज की थी कि केवल मौखिक साक्ष्य के आधार पर और बिना किसी चिकित्सीय साक्ष्य के भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860 की धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत कोई अपराध नहीं बनता है।
यह याचिका अधिवक्ता प्रवीण स्वरूप के माध्यम से दायर की गई है। इसमें कहा गया है कि पुरुष और महिला की शादी जुलाई 2016 में हुई थी। याचिका में कहा गया है कि शादी के बाद पत्नी कुछ दिनों तक मासिक धर्म से गुजरने का बहाना बनाकर दूर रही। वहीं बाद में घर छोड़ दिया और 6 दिनों की अवधि के बाद लौट आई।
याचिका में यह भी कहा गया है कि याचिकाकर्ता अपनी पत्नी को मेडिकल चेक-अप के लिए ले गया, जहां यह पता चला कि उसे ‘इम्परफोरेट हाइमन’ नामक एक चिकित्सा समस्या है।
महिला को सर्जरी कराने की सलाह दी गई थी, लेकिन डॉक्टर ने याचिकाकर्ता से यह भी कहा कि इसके बाद भी गर्भवती होने की संभावना लगभग असंभव है। मेडिकल जांच के बाद याचिकाकर्ता ने खुद को ठगा हुआ महसूस किया और अपनी पत्नी के पिता को फोन कर अपनी बेटी को वापस लेने के लिए कहा।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।