Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

April 13, 2025

हाईकोर्ट ने कहा- सहमति से संबंध बनाने वाले अपराधी नहीं, दिया सुझाव-बालिग होने की उम्र की जाए कम

एक बार फिर से बालिग और नाबालिग की उम्र को लेकर बहस शुरू हो सकती है। कारण ये है कि हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर सरकार को सुझाव दिया है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने रेप के एक मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से किशोरों की उम्र 18 से 16 करने का सुझाव दिया। हाईकोर्ट ने तीन सालों से जेल में बंद एक 20 साल के लड़के को नाबालिग से रेप के आरोप में राहत देते हुए यह बात कही। हाईकोर्ट ने कहा, सहमति से संबंध बनाने वाले किशोरों को जेल में डाल देना अन्याय है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जस्टिस दीपक कुमार अग्रवाल की सिंगल बेंच ने कहा कि 2012 में सहमति से संबंध बनाने की उम्र 16 से 18 कर देने की वजह से समाज के प्राकृतिक ताने-बाने को बिगाड़ दिया है। उन्होंने अपने ऑब्जर्वेशन में कहा कि इन दिनों सोशल मीडिया की वजह से हर किशोर लड़का-लड़की कम समय में ही जवान हो जा रहे हैं। ऐसे में किशोर बच्चे एक-दूसरे की ओर आकर्षित हो जाते हैं और वह सहमति से संबंध बना लेते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अन्याय है बच्चों को गिरफ्तार किया जाना

जस्टिस दीपक कुमार की पीठ ने मामले को सुनते हुए कहा ऐसे मामलों में सहमति से संबंध बनाने वाले गिरफ्तार किए गए लड़कों को गिरफ्तार किया जाना उनके साथ अन्याय है। यह सिर्फ उनकी उम्र की वजह से हो रहा है कि किशोर अपोजिट जेंडर के संपर्क में आने के बाद उनके साथ सहमति से शारीरिक संबंध बना ले रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जस्टिस दीपक कुमार अग्रवाल ने अपने फैसले में लिखा कि अभियोजन पक्ष के मुताबिक पीड़िता घटना के समय नाबालिग थी, लेकिन यह अदालत पूरे मामले को सुनने के बाद उस एज ब्रेकेट में आने वाले किशोरों के शारीरिक और मानसिक विकास को देखते हुए इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि वह अपने भले-बुरे का फैसला लेने में खुद सक्षम हैं। लिहाजा इसके लिए किसी और को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इसके बाद पीठ ने बीते तीन साल से एक नाबालिग लड़की से रेप के आरोप में जेल में बंद किशोर के खिलाफ दायर किए गए मामले को रद्द कर दिया। इसके बाद उस किशोर को रिहा कर दिया जाएगा। आरोपी को साल 2020 में जुलाई के महीने में पॉक्सो एक्ट में गिरफ्तार किया गया था। उसके बाद से उसको जमानत भी नहीं मिली थी।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

+ posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page