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September 30, 2024

भारत में बढ़ रही है अमीरों और गरीबों के बीच खाई, शीर्ष दस फीसद परिवारों की औसत संपत्ति 1.5 करोड़ तो निचले वर्ग की दो हजार रुपये

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देश में एक सरकारी सर्वे के अनुसार, देश के शीर्ष 10 प्रतिशत शहरी परिवारों के पास औसतन 1.5 करोड़ रुपये की संपत्ति है, जबकि भारत के शहरों में निचले वर्ग के परिवारों के पास औसतन सिर्फ केवल 2,000 रुपये की संपत्ति है।

भारत में अमीरों और गरीबों के बीच खाई और गहरी होती जा रही रही है। देश में एक सरकारी सर्वे के अनुसार, देश के शीर्ष 10 प्रतिशत शहरी परिवारों के पास औसतन 1.5 करोड़ रुपये की संपत्ति है, जबकि भारत के शहरों में निचले वर्ग के परिवारों के पास औसतन सिर्फ केवल 2,000 रुपये की संपत्ति है। सरकार की तरफ से किया गया सर्वे दर्शाता है कि शहरों में गरीबों और अमीरों के बीच की वित्तीय अंतर लगातार बढ़ रहा है।
ऐसे भी समझा जा सकता है गणित
इस गणित को इस तरह भी समझा जा सकता है कि वर्ष 2011 की जनगणना के अंतिम आंकड़ों के मुताबिक, भारत की आबादी 1.21 अरब यानी 121 करोड़ है। इनमें 80 करोड़ से ज्यादा लोग अभी आत्मनिर्भर नहीं हैं। यानी आधी आबादी से ज्यादा लोग अभी भी गरीब हैं। यदि गरीब नहीं होते तो वे मुफ्त राशन लेने के लिए सरकारी राशन की दुकानों में धक्के नहीं खाते। ये भारत सरकार के आंकड़े हैं कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत देश में 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है। मुफ्त राशन लेने वालों की एक बड़ी संख्या ही देश में लोगों के जीवन स्तर की तस्वीर दिखाती है।
शहरों की तुलना में गांव थोड़े बेहतर
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा किए गए अखिल भारतीय ऋण और निवेश सर्वेक्षण-2019 के अनुसार ग्रामीण इलाकों में स्थिति शहरों की तुलना में थोड़ी बेहतर है। ग्रामीण इलाकों में शीर्ष दस प्रतिशत परिवारों के पास औसतन 81.17 लाख रुपये की संपत्ति है। वही निचले वर्ग के पास औसत के तौर पर केवल 41 हजार रुपये की संपत्ति है।
ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब परिवारों की स्थिति बेहतर
सर्वेक्षण में कहा गया कि शहरों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब परिवारों की स्थिति बेहतर है। शहरों में निचले वर्ग के घरों की औसत संपत्ति का आकार सिर्फ 2,000 रुपये है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस) के 77वें दौर के तहत अखिल भारतीय ऋण और निवेश सर्वे किया गया है। यह सर्वे जनवरी-दिसंबर, 2019 के बीच किया गया था। इससे पहले यह 70वें के तौर पर 2013, 59वें दौर के तौर पर 2003 और 26वें दौर के रूप में 1971-72 में किया गया था।
इस ऋण और निवेश सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य 30 जून, 2018 तक परिवारों की संपत्ति और देनदारियों को लेकर बुनियादी मात्रात्मक जानकारी एकत्र करना था। यह सर्वेक्षण ग्रामीण क्षेत्र के 5,940 गांवों में 69,455 परिवारों और शहरी क्षेत्र के 3,995 ब्लॉकों में 47,006 परिवारों के बीच किया गया।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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