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June 22, 2025

केंद्र सरकार और ट्विटर के बीच कंटेंट को लेकर छिड़ा विवाद अब कानूनी लड़ाई में बदला

कंटेंट को लेकर केंद्र सरकार और ट्विटर के बीच छिड़ा विवाद अब कानूनी लड़ाई में बदल गया है। इस मामले में ट्विटर ने कर्नाटक हाईकोर्ट में केंद्र के आदेशों के खिलाफ याचिका भी दायर की है।

कंटेंट को लेकर केंद्र सरकार और ट्विटर के बीच छिड़ा विवाद अब कानूनी लड़ाई में बदल गया है। इस मामले में ट्विटर ने कर्नाटक हाईकोर्ट में केंद्र के आदेशों के खिलाफ याचिका भी दायर की है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर ने कंटेंट को लेकर भारत सरकार के कुछ आदेशों को वापस लेने की मांग उठाई है। मामले से जुड़े एक सूत्र ने यह जानकारी देते हुए बताया कि कंपनी ने इसे अधिकारियों की ओर से सत्‍ता का दुरुपयोग बताते हुए इसे कानूनी तौर पर चुनौती दी है।
रॉयटर्स की खबर के अनुसार अमेरिकी सोशल मीडिया कंपनी की मामले की न्‍यायिक समीक्षा की यह कोशिश नई दिल्‍ली के साथ सामग्री नियमन को लेकर जारी टकराव का एक हिस्‍सा है। गौरतलब है कि भारत सरकार के आईटी मंत्रालय ने कुछ आदेशों का पालन नहीं करने की स्थिति में ट्विटर को आपराधिक कार्यवाही की चेतावनी दी है।
भारतीय अधिकारियों की ओर से ट्विटर से पिछले एक साल में एक स्‍वतंत्र सिख राष्‍ट्र के समर्थन वाले अकाउंट्स और ऐसे दर्जनों ट्वीट्स पर कार्रवाई करने को कहा था, जिसमें कोविड-19 महामारी से निपटने के मामले में सरकार की आलोचना की गई थी। ट्विटर के इस कानूनी कदम के बारे में भारत के आईटी मंत्रालय की ओर से तत्‍काल कोई टिप्‍पणी नहीं मिल पाई है।
कर्नाटक हाईकोर्ट में ली शरण
ट्विटर ने कर्नाटक हाईकोर्ट से कंटेट ब्‍लॉक करने से संबंधित केंद्र के कुछ आदेशों को ‘पलटने’ का आग्रह किया है। मामले से जुड़े सूत्रों के अनुसार, ट्वटिर ने तर्क देते हुए कहा है कि यह आदेश मनमाने हैं और सत्‍ता के दुरुपयोग को दर्शाते हैं। केंद्र सरकार और अमेरिकी सोशल मीडिया दिग्‍गज के बीच जारी टकराव की यह नवीनतम कड़ी है।
इन मामलों में हैं खाते ब्‍लॉक करने के आदेश
-असीमित और मनमाना
-कंटेंट प्रवर्तकों (content originators) को नोटिस देने में नाकाम
-कई मामले में असंगतपूर्ण
ट्विटर का पक्ष
ट्विटर का कहना है कि कई चीजें राजनीतिक कंटेंट से संबंधित हो सकती है जो राजनीतिक पार्टियों के आधिकारिक हैंडल से पोस्‍ट किए जाते हैं। उसके अनुसार, इस कंटेंट को ब्‍लॉक करना यूजर की अभिव्‍यक्ति की आजादी का उल्‍लंघन है। ट्विटर का कहना है कि यह खुलेपन और पारदर्शिता के सिद्धांतों के लिए प्रतिबद्ध है।
सरकार पर केस का ट्वटिर ने बताया ये आधार
1. ब्‍लॉक करने के कई आदेश आईटी एक्‍ट के सेक्‍शन 69A के अंतर्गत प्रक्रियागत और मूलभूत रूप से अधूरे हैं, जो सरकार को भारत की संप्रभुता, अखंडता, रक्षा, सुरक्षा और अन्‍य देशों के साथ दोस्‍ताना संबंधों के लिए पहुंच को प्रतिबंधित करने की अनुमति देता है। यूजर्स को नोटिस न देना भी एक खामी है।
2. सेक्‍शन 69A के तहत ब्‍लॉकिंग की न्‍यूनतम अर्हता को पूरा नहीं किया गया है. चूंकि कुछ कंटेट की प्रकृति सियासी भाषण, आलोचना और समाचार योग्‍य सामग्री की तरह हो सकती है। ऐसे में ये सेक्‍शन 69A के अंतर्गत दिए गए प्रावधानों की कसौटी पर खरे नहीं उतरते।
3. शक्ति का असंगतपूर्ण उपयोग। ट्विटर का मानना है कि खाते के आधार पर ब्‍लॉकिंग सैद्धांतिक रूप से असंगत उपाय है और यह संविधान के तहत यूजर्स के अधिकारों का उल्लंघन है। खासतौर पर तब, जब यूआरएल और अकाउंट को ब्‍लॉक करने का कारण सेक्‍शन 69A को भी पूरी तरह संतुष्‍ट नहीं करता। इसका तर्क है, यहां तक कि इलेक्‍ट्रानिक्‍स और आईटी मंत्रालय ने भी कहा है कि यूजर का पूरे अकाउंट का हटाना आखिरी उपाय होना चाहिए।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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