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September 10, 2025

उत्तराखंड साहित्य भूषण सम्मान की धनराशि पांच लाख से बढ़ाकर होगी पांच लाख 51 हजार, लोक साहित्य को दिया जाएगा डिजिटल स्वरूपः सीएम धामी

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य की बोलियों, लोक कथाओं, लोकगीतों एवं साहित्य के डिजलिटीकरण की दिशा में कार्य किये जाएं। इसके लिए ई-लाइब्रेरी बनाई जाए। लोक कथाओं पर आधारित संकलन बढ़ाने के साथ ही इन पर ऑडियो विजुअल भी बनाये जाएं। स्कूलों में सप्ताह में एक बार स्थानीय बोली भाषा पर भाषण, निबंध एवं अन्य प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाए। उत्तराखण्ड भाषा एवं साहित्य का बड़े स्तर पर महोत्सव किया जाए, इसमें देशभर से साहित्यकारों को बुलाया जाए। उत्तराखण्ड की बोलियों का एक भाषाई मानचित्र बनाया जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

यह बात मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में उत्तराखंड भाषा संस्थान की साधारण सभा एवं प्रबन्ध कार्यकारिणी समिति बैठक के अध्यक्षता करते हुए कही। मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से अपील की है कि भेंट स्वरूप बुके के बदले बुक के प्रचलन का राज्य में बढ़ावा दिया जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बैठक में निर्णय लिया गया कि उत्तराखंड साहित्य भूषण सम्मान की राशि पांच लाख से बढ़ाकर पांच लाख 51 हजार की जायेगी। राज्य सरकार की ओर से दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान भी दिया जायेगा। इसकी सम्मान राशि 05 लाख रूपये होगी। राजभाषा हिन्दी के प्रति युवा रचनाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए युवा कलमकार प्रतियोगिता का आयोजन किया जायेगा। इसमें दो आयु वर्ग में 18 से 24 और 25 से 35 के युवा रचनाकारों को शामिल किया जायेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

तय किया गया कि राज्य के दूरस्थ स्थानों तक सचल पुस्तकालयों की व्यवस्था कराने के साथ ही पाठकों के लिए विभिन्न विषयों से संबंधित पुस्तकें एवं साहित्य उपलब्ध कराने के लिए बड़े प्रकाशकों का सहयोग लेने पर सहमति बनी। भाषा संस्थान लोक भाषाओं के प्रति बच्चों की रूचि बढ़ाने के लिए छोटे-छोटे वीडियो तैयार कर स्थानीय बोलियों का बढ़ावा देने की दिशा में कार्य करेगा। बैठक में निर्णय लिया गया कि जौनसार बावर क्षेत्र में पौराणिक काल से प्रचलित पंडवाणी गायन ‘बाकणा’ को संरक्षित करने के लिए इसका अभिलेखीकरण किया जायेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उत्तराखंड भाषा संस्थान की ओर से प्रख्यात नाट्यकार गोविन्द बल्लभ पंत का समग्र साहित्य संकलन, उत्तराखंड के साहित्यकारों का 50 से 100 वर्ष पूर्व भारत की विभन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित साहित्य का संकलन और उत्तराखंड की उच्च हिमालयी एवं जनजातीय भाषाओं के संरक्षण एव अध्ययन के लिए शोध परियोजनों का संचालन किया जायेगा। राज्य में प्रकृति के बीच साहित्य सृजन, साहित्यकारों के मध्य गोष्ठी, चर्चा-परिचर्चा के लिए 02 साहित्य ग्राम बनाये जायेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

भाषा मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि पिछले तीन सालों में उत्तराखंड में भाषा संस्थान की ओर से अनेक नई पहल की गई है। भाषाओं के संरक्षण और संवर्द्धन के साथ ही स्थानीय बोलियों को बढ़ावा देने की दिशा में तेजी से प्रयास किये जा रहे हैं। भाषा की दिशा में लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा अनेक पुरस्कार दिये जा रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस अवसर पर प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, सचिव वी षणमुगम, धर बाबू अदांकी, भाषा निदेशक स्वाति भदौरिया, अपर सचिव मनुज गोयल, दून विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. सुरेखा डंगवाल, संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार के कुलपति प्रो. दिनेश चन्द्र शास्त्री एवं अन्य सदस्य उपस्थित थे।
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Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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