Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

November 22, 2024

यादों में समाई वह तीर्थ नगरी टिहरी, दिया था सत्येश्वर तीर्थ का नामः सोमवारी लाल सकलानी

भिलंगना और भागीरथी के संगम पर पुराण प्रसिद्ध तीर्थ नगरी टिहरी कभी गणेश प्रयाग के नाम से जानी जाती रही, तो किसी ने इसे सत्येश्वर तीर्थ का नाम दिया। यहां नदियों के संगम पर स्नान को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती थी।

भिलंगना और भागीरथी के संगम पर पुराण प्रसिद्ध तीर्थ नगरी टिहरी कभी गणेश प्रयाग के नाम से जानी जाती रही, तो किसी ने इसे सत्येश्वर तीर्थ का नाम दिया। यहां नदियों के संगम पर स्नान को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती थी। टिहरी बांध बनने के बाद संगम स्थल व घाट नहीं रहे। ऐसे में चाहे माघ पूर्णिमा हो या फिर बैसाखी का स्नान, इस सत्येश्वर तीर्थ की यादें ही शेष हैं। इसे पहले किसी ने धनुष तीर्थ कहा तो किसी ने शेष और वशिष्ठ तीर्थ के नाम इसे पुकारा है।
यह नगरी वैदिक काल से ही अपना विशिष्ट महत्त्व रखती थी। धनुष की आकृति होने के कारण इसे धनुष तीर्थ भी कहा जाता रहा है। टिहरी का बड़ा ही विचित्र इतिहास रहा है। टेडी मेडी आकृति के कारण इसका नाम टिहरी पड़ा।
भिलंगना, भागीरथी और घृत गंगा के संगम पर बसायत होने के कारण इसका नाम त्रिहरि से टिहरी हुआ। कुछ लोगों ने इसे गंगा तटीय शाहपुरी भी नाम दिया। कुछ लोगों ने टिपरी गांव के नाम पर इसका नाम टिहरी होना बताया है। नाम जो भी रहा हो, मेरे लिए केवल संबोधन का प्रतीक है।
सन 1815 में सुदर्शन शाह के द्वारा इस नगरी को बसाया गया था। बाद के वर्षों में यह टिहरी नरेशो की राजधानी रही है। महाराजा सुदर्शन शाह ने रहने के लिए निवास के रूप में यहां राज महल का निर्माण करवाया। जिसे पुराने दरबार के नाम से जाना जाता था । बाद के राजाओं में प्रताप शाह ने प्रताप हाई स्कूल और न्यायालय भवन बनाया।
प्रताप नगर स्थल, जो 12 किलोमीटर दूर टिहरी से है, वहां तक सड़क का निर्माण करवाया। महाराजा कीर्तिशाह ने, जिनका कार्यकाल टिहरी के इतिहास में स्वर्णिम युग रहा है। कौशल दरबार का निर्माण कराया। प्रसिद्ध घंटाघर का निर्माण सन 1897 में उन्हीं के द्वारा करवाया गया था। महाराजा कीर्तिशाह ने टेहरी नगर को जल विद्युत योजना से मशीन द्वारा पानी खींचकर जलापूर्ति करवाई। अपने नाम पर कीर्ति नगर की स्थापना की। जो श्रीनगर से मात्र 04 किलोमीटर पहले अलकनंदा इस पार है।
महाराजा नरेंद्र शाह के द्वारा यद्यपि नरेंद्र नगर बसाने के कारण राजकाज वहां से संचालित होता था, लेकिन इस नगरी टिहरी का महत्व कभी कम नहीं हुआ। गंगा और भिलंगना के तट पर अवस्थित या नगरी गणेश प्रयाग के नाम से विख्यात रही है। यहां वशिष्ठ आश्रम होने के कारण कालांतर में महान संत राम तीर्थ जी ने वहां अपना आश्रय बनाया। कुछ समय पश्चात उन्होंने सिमलासु नामक स्थान में जल समाधि ले ली थी।
पुरानी टिहरी नगरी राजाओं की राजधानी होने के साथ-साथ, एक महत्वपूर्ण व्यापारिक स्थल था। चारों तरफ के इलाकों का यह एक व्यावसायिक स्थान था। एक मिश्रित संस्कृति का यह नगर पूरे गढ़वाल मंडल विशिष्ट महत्व रखता था। शिक्षण संस्थान, अस्पताल, जिला कार्यालय आदि के अलावा टिहरी की सिंगोरियों की मिठास आज भी लोगों को तरसाती है। भीमकाय बांध बन जाने के बाद टिहरी जल समाधि में लीन हो गया।
टेहरी का बसंत मेला, चना खेत, प्रदर्शनी मैदान,सत्येश्वर और बद्रीनाथ मंदिर, सुमन चौक, प्रताप कालेज, ठक्कर बापा छात्रावास अनायास ही पुरातन की स्मृतियों को लौटाते रहते हैं। आज पुरानी टिहरी में सुमन सागर नाम का एक 42 किलोमीटर लंबा जलाशय, झील के ऊपर अनेक प्रकार की क्रीड़ा उत्सव आदि आयोजित हो रहे हैं। यह तीर्थनगर आज पर्यटक केंद्र के रूप में आकार ले चुका है। चांठी डोबरा पुल बन चुका है। वाटर स्पोर्ट्स की गतिविधियां संचालित हो रही हैं। झील के चारों ओर हरित पट्टी भी बन जाएगी। लोगों को अनेकों सुविधाएं भी प्राप्त हो जाएंगी लेकिन वह सुख कभी नहीं मिल सकता है।
पुरानी टिहरी एक समरसता का नगर था। टेहरी जैसी संस्कृति अब केवल दिवास्वप्न है। पुरानी टिहरी के अवसान के बाद मास्टर प्लान से नई टिहरी नामक एक सुंदर नगर बस चुका है ।पुरानी टिहरी के निकटवर्ती स्थल चंबा ने पुरानी टिहरी का कुछ स्वरूप प्राप्त कर लिया है लेकिन वह बेमिसाल संस्कृति ,वह बेमिसाल सभ्यता, तीन नदियों का संगम स्थल, वह समतल भूमि, विस्तृत कृषि का क्षेत्र ,यह नए स्थल कभी नही ले सकते है। नदी घाटी सभ्यताएं सूखे पहाड़ों पर नहीं पनप सकती हैं।

लेखक का परिचय
नाम- कवि, सोमवारी लाल सकलानी, निशांत।
सुमन कॉलोनी चंबा, टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *