शिक्षक संघों ने फिर दोहराई अशासकीय महाविद्यालयों को वेतन जारी करने और लंबित प्रमोशन प्रक्रिया से रोक हटाने की मांग
उत्तराखंड के उच्च शिक्षा से संबंधित तीन शिक्षक संगठनों के प्रमुखों की ओर से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत तथा तथा उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत से दो महत्वपूर्ण मांगों पर आवश्यक कार्यवाही की संयुक्त मांग की गई है।
सीएम और शिक्षा मंत्री को भेजे गए ज्ञापन में कहा गया है कि उत्तराखंड के राजकीय सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों को वर्तमान वित्तीय वर्ष (2021-22) में वित्त विभाग से स्वीकृत होकर उच्च शिक्षा विभाग तथा तत्पश्चात उच्च शिक्षा विभाग से उच्च शिक्षा निदेशालय, हल्द्वानी को 104 करोड रुपए की धनराशि वेतन मद में स्वीकृति का शासनादेश जारी हो चुके थे। साथ ही नौ जून को 52 करोड रुपए निर्गत होने की अनुमति के बाद भी अभी तक उच्च शिक्षा निदेशालय के स्तर से महाविद्यालयों को अनुदान प्राप्ति के लिए जिलेवार तथा महाविद्यालयवार वित्तीय अनुदान के आवंटन के आदेश अभी तक निर्गत नहीं किए गए हैं।
शिक्षकों के मुताबिक इस कारण शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के वेतन भुगतान में कोविड-19 महामारी की अवधि में लगभग साढ़े 3 महीने का विलंब हो गया है। तीनों शिक्षक संगठनों ने शिक्षकों तथा विशेषकर शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के कोरोना काल में चल रहे आर्थिक व मानसिक परेशानियों को दृष्टिगत रखते हुए तत्काल वेतन निर्गत करने के आदेश जारी किए जाने की मांग की है।
एबीवीपी, ग्रूटा व राशैमउ ने साथ ही एक अन्य महत्वपूर्ण मांग को पूरा किए जाने का भी मुद्दा संयुक्त रुप से उठाया। इसके अनुसार अशासकीय महाविद्यालयों में शिक्षकों की यूजीसी रेगुलेशन-2010 के अनुसार 16 वर्षों से अधिक पदोन्नतियों, यूजीसी रेगुलेशन-2018 के अनुसार 3 वर्षों से अधिक पदोन्नतियों के प्रकरण, यूजीसी रेगुलेशन-2001, 2010 व 2018 के अनुसार स्क्रीनिंग कमेटियों द्वारा अग्रसारित पदोन्नतियों की पत्रावलियों की स्वीकृति/ अनुमोदन पर शीघ्र समुचित कार्रवाई करने की मांग की गई। सभी उच्च शिक्षा निदेशालय, हल्द्वानी के स्तर पर लंबित हैं।
उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा निदेशालय, उत्तराखंड द्वारा अनुदानित महाविद्यालयों के शिक्षकों के पदोन्नति प्रक्रिया पर 24 मार्च 2021 के आदेश से जो रोक लगाई थी। उस पर उच्च शिक्षा विभाग उत्तराखंड शासन से किसी प्रकार की पूर्व अनुमति प्राप्त नहीं की गई थी। अशासकीय महाविद्यालयों के संयुक्त शिक्षक प्रतिनिधिमंडल के अनुरोध पर मुख्यमंत्री की ओर से पदोन्नति प्रक्रिया को पूर्णतया बहाल करने के 2 जून 2021 को दिए सीधे आदेशों के पश्चात भी वर्तमान तक निदेशक उच्च शिक्षा उत्तराखंड/ निदेशालय द्वारा सिर्फ आशिक रोक हटाई गई है। तथा नए पदोन्नति प्रकरणों में चयन समिति की बैठक के लिए रोक को औपचारिक रूप से हटाने के कोई भी आदेश मुख्यमंत्री के आदेशों के बाद भी आतिथि तक नहीं जारी नहीं किए गए हैं।
एक संयुक्त बयान में तीनों शिक्षक संघों के प्रमुखों ने नई पदोन्नतियों पर वर्तमान तक लगी रोक तत्काल हटाने की मांग की। साथ ही कहा कि प्रदेश सरकार के शासनादेश के अनुसार यूजीसी रेगुलेशन-2018 में वर्णित यूजीसी रेगुलेशन-2010 के अंतर्गत पदोन्नतियों के संदर्भ में कार्रवाई की अंतिम तिथि 17 जुलाई 2021 है। इसमें लगभग 1 माह ही शेष है।
उन्होंने संयुक्त रूप से नए सहित पुराने व काफी समय से पदोन्नतियों के लंबित प्रकरणों पर यथाशीघ्र समुचित निर्णय लेकर उपरोक्त समस्याओं के स्थाई समाधान हेतु संबंधितो को आवश्यक आदेश/ निर्देश जारी करने की भी मांग की।
ज्ञापन में हस्ताक्षर करने वालों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. कौशल कुमार, गढ़वाल विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (ग्रूटा) के सचिव डॉ. डीके त्यागी, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तराखंड (राशैमउ) के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. प्रशांत सिंह शामिल हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।