Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

August 26, 2025

शिक्षिका उषा सागर की कविता-ग्रीष्म ऋतु का पदार्पण

ग्रीष्म ऋतु का पदार्पण
सुहानी वसंत ऋतु बीत गयी
भीषण ग्रीष्म ने किया पदार्पण
चारों दिशाओं में भीषण ज्वाला से
झुलस रहे हैं सारे वन
दावाग्नि से दहकते झुलसते वन
मासूम वन्य जीवों को निगल गया
हरियाली, बसन्त और पतझड़ का
अद्भुत संगम यूं ही झकझोर गया
वन में हा हाकार मचा है सब
जीवों का, जीवन कैसे बचा पाएं
छोड़ अपने नीड़ घरौंदे
जाकर कहां प्राण बचाएं
भीषण गर्मी से संग इनके
मानव भी तो उबल रहा
देख हर बरस ए भयानक मंजर
फिर भी तू न संभल रहा
धूं धूंकर जलते कानन
होता प्रदूषित पर्यावरण
सुहानी वसंत ऋतु बीत गयी
भीषण ग्रीष्म ने किया पदार्पण
कुछ झुलसे कुछ पंचतत्व में विलीन हुए
कुछ प्राण बचाकर निकल गये
घर की मुंडेर पर मानव तेरी
आश्रय पाने बैठ गये
सुना जिसने भी दर्द है इनका
सुनी इनकी  आह, वेदना
है वही सच्चा मानव जिसमें
दया,धर्म और मानवता की हो चेतना
आज पड़ी है भीड़ इन पर
कल तुम पर हो सकती है
मजबूर और बेवस से हों जब
व्याकुल आंखें रस्ता तकती हैं
इनकी रक्षा की खातिर
तुम्हें भी तो करना है कुछ अर्पण
सुहानी वसंत ऋतु बीत गयी
भीषण ग्रीष्म ने किया पदार्पण
राह तक रहा हर कोई
बादलों के घिर आने की
झमझम झमझम आए बरखा
राहत कुछ पहुंचाने की
क्यों करे अभिमान ज्वाला तू
अपनी प्रचण्ड जवानी का
तेरा अस्तित्व मिटाने को है
कतरा कतरा पानी का
वर्षा की बूंदें आकर कर देंगी
भीषण ज्वाला तेरा अन्त
सब जीवों को मिल जाए सुख
नवजीवन का अनन्त
बरखा जो दिखलाए तुझको
अपना रूप प्रचण्ड
पल में टूट जाएगा ज्वाला तेरा
अस्तित्व और जवानी भरा घमंड
खुश होकर जब धरती ओढ़े
हराभरा आवरण
छोड़ अपना रूप प्रचण्ड
किया भीषण ग्रीष्म ने समर्पण।।
कवयित्री का परिचय
उषा सागर
सहायक अध्यापक
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गुनियाल
विकासखंड जयहरीखाल
जिला पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

Bhanu Prakash

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *