शिक्षक श्याम लाल भारती की कविता-जिंदगी
जिंदगी
क्या है तू बता ए जिंदगी,
किस काम की किस नाम की।
मुझे तो लगता है,
हर पल मुस्कुराते रहने का,
नाम है जिंदगी।।
एक छोटी सी आशा का,
नाम है जिंदगी।
बस हंसते गाते रहने का,
नाम है जिंदगी।
दूसरों पर न्योछावर होने का,
नाम है जिंदगी।
दूसरों के लिए जीने का,
नाम है जिंदगी।
बुरी आदतों को छोड़ने का,
नाम है जिंदगी।
नफरतें दिल से भुलाने का,
नाम है जिंदगी।
अपनों को माफ करने का,
नाम है जिंदगी।
गलतियों को दूर करने का,
नाम है जिंदगी।
वतन पर जान कुर्बान करने का,
नाम है जिंदगी।
इंसानों में इंसानियत जगाने का,
नाम है जिंदगी।
फिर भी पूछूं तुझसे ए जिंदगी,
ए नादान आदमी बता।
क्या है ये तेरी छोटी सी जिंदगी,
जो खुशी ना दे किसी को।
तो फिर बेकार है ये तेरी जिंदगी।।
कवि का परिचय
श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं। श्यामलाल भारती जी की विशेषता ये है कि वे उत्तराखंड की महान विभूतियों पर कविता लिखते हैं। कविता के माध्यम से ही वे ऐसे लोगों की जीवनी लोगों को पढ़ा देते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।