शिक्षक श्याम लाल भारती की कविता-दिल में कितना मैल भरा
दिल में कितना मैल भरा
दिल में कितना मैल भरा पड़ा है,
फिर क्यों सबको सुंदरता की चाहत।
मिटा नही सकते मैल दिलों का,
फिर क्यों अच्छा बनने की चाहत।।
सपने तोड़ दिये अपनों के सब,
क्यों सुंदर सपनों की चाहत।
खुशियाँ छीन ली पल भर में सबकी,
फिर क्यों अच्छे सपनों की चाहत।।
भूख से तड़पते देखा फिर भी,
खुद की भूख मिटाने की चाहत।
मिटा नहीं सकते भूख किसी की तो,
फिर क्यों अपनी भूख मिटाने की चाहत।।
कड़वे बोलों से छलनी करते दिल को,
खुद के लिए अच्छी बोली की चाहत।
कड़वे बोलों से दिल दुखता खुद का तो,
फिर क्यों मीठी बोली की चाहत।।
अपनों को क्यों नीचे गिराकर,
क्यों उनसे बड़ा बनने की चाहत।
गले नहीँ लगा सकते अपनों को तो,
फिर क्यों ऊँचा बनने की चाहत।।
अपनों बिना अधूरे हम इस जग में,
क्यों उनसे दूरियों की चाहत।
अब तो हटा लो मैल दिलों से,
अब तो रखो दिलों को जोड़ने की चाहत।
कवि का परिचय
श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं। श्यामलाल भारती जी की विशेषता ये है कि वे उत्तराखंड की महान विभूतियों पर कविता लिखते हैं। कविता के माध्यम से ही वे ऐसे लोगों की जीवनी लोगों को पढ़ा देते हैं।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।