प्रकृति के चितेरे कवि चंद्र कुंवर बर्तवाल पर शिक्षक श्याम लाल भारती की कविता-बीत गया जन्म दिन
बीत गया जन्म दिन
बीत गया जन्म दिन उनका,
फिर यादों में, मैं उनकी खो गया।
उनकी यादों के नन्हे बीजों को,
हृदय में, मैं अपने बो गया।।
जीना बस इस धरा में इतना ही था,
न जाने वो बीज कहाँ खो गया।
कहता था न जीना युगों युगों तक,
शायद आसमां में कहीँ सो गया।।
प्रकृति प्रेमी प्रकृति का चितेरा था वो,
शायद अब वो बादलों का हो गया।
फूलों से असीम प्यार था उनको,
शायद वो अब फूलों में ही सो गया।।
क्यों चंद्र मेरे हृदय में ढेर सारी यादें,
एक एक पल यूँ संजो गया।
मुझसे तो खुद दूर चला गया वो,
क्यों हृदय में मेरे नन्हे बीज बो गया।।
कलियाँ कोमल बसंत ऋतु की मुझे,
कहती चंद्र अब मेरा हो गया।
बतलाऊं कैसे उन कलियों को मैं,
चंद्र का बसेरा मेरे हृदय में हो गया।।
बस अब तो चाह यही हृदय में,
वो खुश रहे, जिस जहाँ का वो हो गया,
पर भूलूंगा नहीं मैं भी उसको,
चाहे क्यों न वो प्रकृति का ही हो गया।।
कवि का परिचय
श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं। श्यामलाल भारती जी की विशेषता ये है कि वे उत्तराखंड की महान विभूतियों पर कविता लिखते हैं। कविता के माध्यम से ही वे ऐसे लोगों की जीवनी लोगों को पढ़ा देते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
बहुत अच्छी रचना चंद्रकुवंर बर्त्वाल के ऊपर