गांधी जयंती पर शिक्षक राजेंद्र बहुगुणा की कविता-मानव धर्म शिखा
“मानव धर्म शिखा”
मैं हिन्दू हूं वह मुस्लिम है,
यह दृष्टि बदल डालो।
मानव हो तो मानवता का,
दुःख दर्द मिटा डालो।
भाव में मन्दिर हो या मस्जिद,
हो गिरिजाघर या गुरुद्वारा।
आत्मविन्दु में वही समाता,
जिसका जग है यह सारा।
मातृभूमि की रक्षा में,
किस धर्म का लहू न बहा !
फिर मानव, अरि बन जाओ,
तुमसे है ये किसने कहा ?
राष्ट्र धर्म है संकल्प जिनका,
विश्वास कभी न डोला है,
विजय श्री अर्पित मां चरणों में,
जयकार सदा ही बोला है ।
राष्ट्रीयता – मानव धर्म हमारा,
जीवन की बगिया में पालो,
मानव हो तो मानवता का,
दुःख दर्द सदा मिटा डालो।
कवि की परिचय
रचियता राजेन्द्र बहुगुणा, निवर्तमान प्रान्तीय महामंत्री जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ उत्तराखंड। शैलेश मटियानी राज्य उत्कृष्ट शैक्षिक पुरस्कार प्राप्त शिक्षक एवं वरिष्ठ उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी।