शिक्षिका हेमलता बहुगुणा की कविता-श्राद्ध पक्ष
श्राद्ध पक्ष
श्राद्ध पक्ष लगा आज से
पित्रदेव धरती पर आये
अपने घर-घर आकर वो
सबको आशीष दे जाते।
पूर्णिमा से अमावस्या तक
पित्र धरती पर रहते हैं
साल भर का भोग लगाकर
फिर पित्रधाम को जाते हैं।
सोलह दिन के श्राद्ध पक्ष में
करना है सबने ये दान
अन्नदान से पिण्डदान तक
तर्पण दान है सबसे महान
जलदान और ब वस्र दान
भी इसमें माना जाता है
प्रसन्न हो जातें हैं सब पितृ
यह सब माना जाता है।
पित्रदेव के रूप में खाना
तीन जानवरों को देना हैं
गाय, कुत्ता, कौवे को ही
प्यार से खिलाना है।
जो इनको खाना खिलाए
पितृर्दशन हो जातें हैं
पित्रतृप्त हों जाते हैं
झोली सब भर जातें हैं।
तैंतीस करोड़ देवी देवता
गाय में माने जाते हैं
उनमें एक पित्रदेव भी
गाय मे माने जाते हैं।
कौवा यम का दूत है माना
वो यम दूत का भोग करता
और सब जनो के दुःख को
पर भर में वो हर लेता है
श्वान को अदृश्य शक्ति का
पूर्व आभास उसको होता है
इसलिए पहले ही वह सबके
दुःख आने से पहले सजग करता है।
हम सबको पित्रदेवो की
सेवा करनी चाहिए
और आशीष उनका
हरदम पाना चाहिए।
कवयित्री का परिचय
नाम-हेमलता बहुगुणा
पूर्व प्रधानाध्यापिका राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय सुरसिहधार टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।