शिक्षक एवं कवि श्याम लाल भारती की कविता-लिखूं या ना लिखूं
लिखूं या ना लिखूं
लिखूं या ना लिखूं,
आज के हालातों पर।
कौन कौन है कसूरवार यहां,
हवा की तलवार,
क्यों बेकसूरवारों पर।।
लिखूं या ना लिखूं,
वार करने वाले इन कसूरवारों पर
कोई सो गया, कोई रो गया,
जिंदगी की सांसों के लिए।
कोई बेरोजगार हो गया,
अपने परिवारों के लिए।
कौन कसूरवार इसका।
लिखूं या ना लिखूं,
वार करने वाले इन कसूरवारों पर
किसी को हवा मिली,
किसी को घुटन भरी जिंदगी।
कोई हवा बिना तड़प रहा,
कोई इसके बिना मर रहा।
लिखूं या ना लिखूं,
वार करने वाले इन कसूरवारों पर
सच में सोचता हूं आज,
इतनी सस्ती जिंदगी इंसान की।
सोने की चिड़िया वाले देश में,
क्यों रहम नहीं जिंदगी पर।
लिखूं या ना लिखूं,
वार करने वाले इन कसूरवारों पर
कौन कौन बेच रहे,
यहां धोखे से हवा को।
उन्हें क्यों कोई सजा नहीं,
कसूरवार फिर कौन यहां।
लिखूं या ना लिखूं,
वार करने वाले इन कसूरवारों पर
कांप रही धरती यहां,
धोखे से और अत्याचारों से।
जरूरत हवा,दवा की जिनको,
लाचार पड़े किसके व्यवहारों से।
लिखूं या ना लिखूं,
वार करने वाले इन कसूरवारों पर
अरे खुदा से तो डरो अत्याचारियों,
क्यों अत्याचार करते अपनों पर।
खून एक है देश एक है,
क्यों वार करते अपनों की जानों पर।
लिखूं या ना लिखूं,
वार करने वाले इन कसूरवारों पर।।
कवि का परिचय
श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं। श्यामलाल भारती जी की विशेषता ये है कि वे उत्तराखंड की महान विभूतियों पर कविता लिखते हैं। कविता के माध्यम से ही वे ऐसे लोगों की जीवनी लोगों को पढ़ा देते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
सुन्दर रचना सकलानी जी????????????????????