Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

April 16, 2025

शिक्षक एवं कवि श्याम लाल भारती की कविता- कद्र करना सीखो

श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं।

कद्र करना सीखो

सख्ती सहन कर लो पिता की तुम,
एक दिन काबिल बन जाओगे।
गौर से सुनो बाते पिता की तुम,
फिर नहीं कभी भी पछताओगे।
ऊंचा न बोलो,सामने पिता के तुम,
खुद ही नीचे फिर जाओगे।
सम्मान करो पिता का इतना तुम
काबिल सम्मान पाने के बन जाओगे।।

हुक्म मानो पिता का जरूर तुम,
तभी जीवन भर,खुश रह पाओगे।
पिता एक किताब की तरह है,
क्या उस किताब को पढ़ पाओगे।
कई अनुभव समाए उनके अंदर,
नहीं बिना उनके पढ़ पाओगे।
न गिरे कभी पिता के आंसू,
कीमत कभी उनकी समझ पाओगे।।

नहीं समझे दर्द, उनके आंसू का तो,
जीवन भर आंसू तुम बहाओगे।
उनकी आंखो में दर्द छुपा नहीं देख पाए तो,
खुद को संतान के आगे आंसू बहाते पाओगे।

याद रखो सूरज में, तपन जरूर है,
क्या उस तपन को तुम सह पाओगे।
माता-पिता की कद्र कर पाओगे तो,
तभी संतानों से कद्र तुम पाओगे।।
अरे पेड़ हरा भरा कितना भी हो जाए तो,
संतान उनकी ही कहलाओगे।
जड़ ही कट गई अगर पेड़ से तो,
फिर तुम भी नहीं बच पाओगे।।

नहीं बच पाओगे, नहीं बच पाओगे

कवि का परिचय
श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं। श्यामलाल भारती जी की विशेषता ये है कि वे उत्तराखंड की महान विभूतियों पर कविता लिखते हैं। कविता के माध्यम से ही वे ऐसे लोगों की जीवनी लोगों को पढ़ा देते हैं।

Website |  + posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

1 thought on “शिक्षक एवं कवि श्याम लाल भारती की कविता- कद्र करना सीखो

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page