श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर शिक्षक एवं कवि रामचन्द्र नौटियाल की कविता-श्री नारायण कृष्ण मुरारी
श्री नारायण कृष्ण मुरारी
श्री नारायण श्रीकृष्ण मुरारी
देवकीनन्दन असुरनिकन्दन
तुमको बारम्बार नमन
अष्टमी तिथि नक्षत्र रोहिणी
वृष लग्न पुण्य भादों मास
मध्यरात्रि में प्रगट भये
मां देवकी के उर से
नटखट कन्हैया मनोहर खाश
मेघ गर्जन घट घटा घट
कड़ कड़ कड़ कड़ाहट
विद्युत चकमक चकमक गर्जन करे
जननी देवकी निद्रा में सोये कारागार में जन्मे
किवाड़ खुले रात्रि को कन्हैया
अपुणो रूप दिखायो मां देवकी को हरषायो
फिर इस धरा पर आयो
खलु कंस के भय से सूप पर
कन्हैया को पितु
वसुदेव गोकुल ले आयो
यमुना में पिता वसुदेव जब
यमुना के मध्य आयो
नवजात कन्हैया पांव पखारे
यमुना चरण स्पर्श को वेग बढ़ायो
कण्ठ तक वसुदेव के जल भर आयो
मुरारी के चरण स्पर्श कर पायो
यमुना का वेग पुनि स्थिर ह्वै जावो
कृष्ण जन्म की यह गाथा
गाऊं बार बार नवाऊं झुकाऊं
कवि रामचन्द्र अपना माथा
कवि का परिचय
रामचन्द्र नौटियाल राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गड़थ विकासखंड चिन्यालीसौड, उत्तरकाशी में भाषा के अध्यापक हैं। वह गांव जिब्या पट्टी दशगी जिला उत्तरकाशी उत्तराखंड के निवासी हैं। रामचन्द्र नौटियाल जब हाईस्कूल में ही पढ़ते थे, तब से ही लेखन व सृजन कार्य शुरू कर दिया था। जनपद उत्तरकाशी मे कई साहित्यिक मंचों पर अपनी प्रस्तुतियां दे चुके हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।