लोग पहाड़ मैदान करते रहे, यहाँ मैदान पहाड़ दोनों सूख गये, लोग राजनीति के गीत गाते रहे, यहाँ लाखों लोग...
युवा कवि
जीवन सुन्दर फूलों जैसा गुणों की इसमें सुगन्ध होती है। मन को अपने निर्मल रखना, बुराइयों से बचकर रहना। सच्चा...
अरे सुनो बसंत आया है, फिर सुहाना मौसम आया है, कुछ नए रंग, कुछ नए ख्वाब साथ लाया है, अरे...
आज देश का संविधान लागू हुआ, तुम अपना संविधान बना लेना, स्वतन्त्र देश के नागरिक हो तुम, हर चीज को...
मैं अविनाशी काशी वासी महाकाल प्रलयंकर हूँ हाँ मैं शंकर हूँ हाँ मैं शंकर हूँ मरघट वासी मैं कैलासी मणिकर्णिकाघाट...
मयाली पहाड़ियों के बीच में खिला बाजार फूल सा सुंदर सजीला सज रहा सजीव हो महबूब सा। सुहावनी समीर है...
चैतन्य सुमन हम बच्चे हैं मन के सच्चे धरती के हैं फूल सुनहरे। घर की रौनक़ हम बच्चे हैं मस्ती...
मानव मर्यादा चरित्र अपना देखो किस ओर ढ़ल रहा है । मलिनता लिए उर किस ओर बढ़ रहा है तुम...
क्या वो भी.... क्या वो भी मुझे उतना ही याद करती होगी, जितना मैं करता हूं क्या वो भी मुझसे...
मैं थ्वऴु छौं जु बांसा लाठा कु बण्यों छौं चाहे मैं कनु भी छौं पर मैं मजबुत छौं मैं कभी...