साहित्य जगत पत्रकार दिनेश कुकरेती की उत्तराखंड के हालात बयां करती ग़ज़ल-न जाने क्यों मुझको वो ख़्वाब समझता है 3 years ago Bhanu Prakash न जाने क्यों मुझको वो ख़्वाब समझता है, झूठा है वो झूठ को रुआब समझता है। मिलता है सुकून, मैं...