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November 8, 2024

Garhwali poetry

पहाड़ों मा चौमास चौमास की बात यू अंधेरी रात बरखा की छिमडाट गाड़ गदरा कु सुंस्याट मरोडों कु ठाठ जन्माष्टमी...

पैंछु पठ्याळी करा धौं कुठार कु अन्न खवा‌ धौं मातृभुमि छ तुम्हारी भू कानुन लावा धौं माधु कु त्याग समझा...

हमारु उत्तराखंड भारत माँ कु शीष हिमालय अखण्ड कतना प्यारू कतना स्वाणू हमारु उत्तराखंड गंगा यमुना कु उद्गम बद्री विशाल...

बेटी ब्वे- बुबजी, गुमान हूंद बेटी. द्वी - घरौं की, शान हूंद बेटी.. बोल़द-बच्यांद, खिल-खिलांद, हीरा-मोत्यूं कि, खान हूंद बेटी.....

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