पहाड़ों मा चौमास चौमास की बात यू अंधेरी रात बरखा की छिमडाट गाड़ गदरा कु सुंस्याट मरोडों कु ठाठ जन्माष्टमी...
Garhwali poetry
पैंछु पठ्याळी करा धौं कुठार कु अन्न खवा धौं मातृभुमि छ तुम्हारी भू कानुन लावा धौं माधु कु त्याग समझा...
कख हरचि आज हमारा पुराणा रीति रिवाज कख हरचि आज हमारा पुराणा साज बाज ब्यो बरात्युं म मांगळ नि सुणेन्दा...
पहाड़ की वसुन्धरा, मां धूल सेवा सूंण, मां तु अबारि हिकमत ना ख्वे, मां हमारु हौंसला बढ़ौंदि रे, मां अपणां...
हमारु उत्तराखंड भारत माँ कु शीष हिमालय अखण्ड कतना प्यारू कतना स्वाणू हमारु उत्तराखंड गंगा यमुना कु उद्गम बद्री विशाल...
ताऴु दग्डया में ताऴू छों सबसी पुराणु वैध छों गुम चोंट पर आराम देदू छों तुमणी याद आज दिलोणू छों...
चुल्हा कु मुछ्यालू में चुल्हा कु मुछ्याऴु छो अफुमा मस्त जलणु छो कभी एक धोरा सी कभी चारों धोरा सी...
पुरेल्डु मैं पुरेल्डु छों। जू सुऴा पर टिक्यू छ। तुम कुछ भी करल्या। में एक जूट छौं। भांतिं भांतिं का...
बेटी ब्वे- बुबजी, गुमान हूंद बेटी. द्वी - घरौं की, शान हूंद बेटी.. बोल़द-बच्यांद, खिल-खिलांद, हीरा-मोत्यूं कि, खान हूंद बेटी.....
भारि सगत ......नखरु बगत..... कोरोना कनि या मो मार कार आज उजाडी दी घर बार आज काम व्योपार खै गे...