जीवन-दर्शन एक जगा कख, कबि-रुकि पा जीवन. कबि सुखित, कबि- दुखि रा जीवन.. मस्त तभी-तक, जब तक छौ बचपन. समझ...
Garhwali Ghazal
जीवन कि सच्चै यूँ आख्यूंन जो देख्याल़, वी च सच्चू. ज्यूम धरी जो बांच्याल़, वी च सच्चू.. छ्वीं बतौं म-अधा...
ब्यटलौं क भोऽर चल़णू , हमरु घर- संसार च. ब्यटलौं मीलु ऊं कु अधिकार, आज दरकार च.. ब्यटलौं न दे-लाड-प्यार,...
बगत सरकणूं च मठु - मठू करि बगत, सर्- सरकणूं च. तवा म धरीं रोटि सि, फर्- फरकणूं च.. जैं...
रगड़ा-झगड़ा सोचु भिंडि च-हमन, जीवन म अपड़ा भी. क्य ब्वन-दगड़म चल़णा छिं, सौ रगड़ा भी.. मनखी सोच्यूं-अर गड़्यूं, कख तक...
मातृभाषा दिन कख ! हरच बोलि-भाषा, वीं खुज्यांणा छवां हम. हम छवां- भाषा हितैषी, इनु बतांणा छवां हम.. उन त...
रोज़ा उठा-पोड़ रोज़-रोज़ा उठा-पोड़ मा,दिन इनी ठिलेंणा छन. एक- हैंका दगड़ि, बोलि- चालिक बितेंणा छन.. एक समै छौ, रात-दिन काम-काजे...
हिकमत जंजोऴौ बात न कैर, योत रात- दिन रैंदा छन. फिरोड़ा- फिरोड़ लगीं रैंद, इना दिन चैंदा छन.. जतगा छीं...
कै छाल चलि गेमठु-मठु करि जिंदगी , पलि छाल चलि गे.ज्यूकि भूक दिनौं-दिन, छलि-छाल चलि गे.. न सोचू - न...