वक़्त ख़तों का अब रहा नहीं। ख़त लिखता कोई दिखा नहीं। रहता है सुबह से ख़तों का अब भी इंतज़ार...
Dehradun
उनसे पराजय सही न जाए। हार का ठीकरा औरों पर। डूब का माजरा छोरों पर। उनसे सच बात कही न...
ज़ख्म नमक छिड़क रहे हैं पहाड़ भी अब दरक रहे हैं। सागर भी अब सरक रहे हैं। ज़ख्मों ने अब...
झूठ है आदमी पनौती है। नाकामी का ठीकरा औरों पर मत फोड़िए। दिलों का बढ़े फ़ासला आज ज़िक्र वो छोड़िए।...
मेघों की खिड़कियों से सूरज ताका-झांकी करता । धूप की फरिया लगे फटी सी। जाड़े से वह लुटी लुटी सी।...
आश्वासन आश्वासन ही आश्वासन हैं। आश्वासन के ही शासन हैं। आदमी जो भी अधमरा है। खाकर हवा वो भुख़मरा है।...
लफ्जों की हेर - फ़ेर भी गज़ब हैं, कागज़ में आग का समुन्दर छिपा देती है, स्थिरप्रज्ञ बनना ही तो...
मरे हुए शहर में आ गए हम। दिखें हमें सुबह से मरे आदमी। आदमियों से सभी डरे आदमी। सुबह से...
धन दौलत आप की है के बाप की है... आप की है के बाप की है... लुटा रहे जो धन...
युद्ध अंधियारों से अब लड़ा न जाए। सूरज भी अब थका हुआ सा लगता। भुनसारे से कोहरा रोज़ डसता। युद्ध...
