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April 16, 2025

Deendayal Banduni ‘Din’

अगोड़ि-पिछोड़ि इन्सान कु नाता-इन्सानियत से, अगोड़ि च. हमरु स्वार्थ-हमरु दुखड़ा, सब पिछोड़ि च.. कबि- नि रैंदू एक जगा, यो- चंचल...

ल्याखा-पाढ़ा सुड़ीं-जड़ीं छ्वीं-बतौंम, द्वी-चार ह्वे जांद. गुणीं-लिखीं कितब्यूंम, नै बिचार ह्वे जांद.. धरोहर च हमरी, यीं बिट्वाऴा-समाऴा, नै- पुरणि कितब्यूं...

इनै मोबैल उनै टेलीविजन इनै मोबैल - उनै टेलीविजन, चल़णू च. कैथैं यो - कैथैं वो प्रोग्राम, भलु लगणू च.....

कबि-कबि कबि-कबि एक-हैंका धोऽर, आंद-जांद रावा. अपड़ि खैरी-खुशि-बिपत, सब्यूं सुणांद रावा.. ज्यू हळ्कु ह्वे जांद, सूणीं-सुणैकी क्वी बात, कबि अपणौं,...

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