कैसे गद्दारों और मक्कारों की कामयाब ये चाल हुई। बही थी नदिया शोणितों की और धरा भी लाल हुई। क्षत...
Brahmin Ashish Upadhyay
मैं भी लिखने लगा अगर प्रेम, स्नेह, श्रृंगार को। तुम बोलो फिर कौन लिखेगा, वीरों के संसार को।1। किसी सुन्दरी...
लिखने को तो मैं भी लिख सकता हूँ सच्ची झूठी कहानी। आओ मैं सुनाता हूँ तुमको हकीक़त अपनी ज़ुबानी।। हमको...
मेरे पेचीदा से हालात। दिलों के जज़्बात।। तेरी चटपटी सी बात। मेरे हाँथों में तेरा हाथ। लेकर आई है ज़ज्बातों...
देश का युवा हूँ भविष्य हूँ और बेरोजगार हूँ मैं। न कोई चमचा,न भक्त,न कोई चौकीदार हूँ मैं। देश के...
कहने को है नया, लेकिन नया कुछ भी नही। तारीख़ बदली,साल बदला और बदला कुछ भी नही।। बदलने को सब...
बलात्कार तुम हो पुरूष तुमको बलात्कार करने का जन्म से अधिकार है। बहन बेटियों का बलात्कार हम मुर्दों को सहर्ष...