ज़िंदगी जीत - हार हो गई। बेल - बूटे कभी कढ़े नहीं। किनारी गोटे भी जड़े नहीं। ज़िंदगी तार -...
साहित्य
देहरादून में उत्तराखंड भाजपा मुख्यालय में आज नाना जी देशमुख पुस्तकालय का उद्धघाटन किया गया। इसमे पार्टी के वैचारिक एवं...
हाथों की चंद लकीरों से हम लिखते रहे किस्मत सदा। आड़ी, तिरछी, गोल लकीरें। लिखें हमारी ये तक़दीरें। लकीरों के...
कभी शहर, कभी गांव में रहे। मुफ़लिस फ़िर भी तनाव में रहे। छोड़कर वे उलाहनों की छत कभी धूप, कभी...
वादों के सौदागर वादों के सौदागर आएंगे। फ़िर वादों से वे भरमाएंगे। चुग्गे डाल वे तुम्हारे आगे फ़िर जाल में...
धीरे -धीरे हम तारीख़ों में यूँ ही व्यतीत हो रहे हैं। लम्हा-लम्हा हम देखो यूँ हर पल अतीत हो रहे...
खुशियों के अक्षत डाल गया तेईस का साल। सपनों का सूरज उगा। हाथों से फ़िर तम चुगा। कमल खिलाकर हर...
कोलाहल के यहां सब बहरे हैं। दीवारें भी सुन नहीं पाती हैं। बैठकें भी बतिया नहीं पाती हैं। घण्टियों से...
स्वनामधन्य इन्द्रमणि बड़ोनी, लोक संस्कृति के संवाहक थे। टिहरी के अखोड़ी गाँव में, 24 दिसम्बर 1925 को जन्मे थे।। गरीब...
इन्द्रमणि बड़नी जी इना मन्खि कखन देखण, नेता मेरा बड़ोनी जी। अखोड़ी गौं मा जनम लीनि, उत्तराखण्ड का गाँधी जी।...