मातृभाषा दिवस आया और चला गया। अधिकांश लोग तो इस दिवस के नाम पर सिर्फ परंपरा निभाते नजर आते हैं।...
ललित मोहन गहतोड़ी
अ से अ: तक... अ से अक्षर लिखना सीखो आ कर मुझसे कहना सीखो इ तना सीधा सपना देखो ई...
स्वानी स्वानी... स्वानी स्वानी मुखड़ि तेरी स्वानी भलि झलकी छै... म्येरा मन बसि मूरत जसि उसि तेरी सूरत सुकली छै......
मैं टालता गया मैं टालता गया... जो अवसर आया... जो अवसर आया मैं टालता गया जो अवसर आया मैं टालता...
नाटक सुन चेतुआ ना रार कर... नाटक ना बार बार कर... सुंदर शब्दों का संचय कर नित जीवन अपना उदय...
सुन चेतुआ ओ चेतुआ... सुन चेतुआ, सुन सुनैतू गुन चेतुआ... सुन चेतुआ सुनिले बाबू, मुख मुखैको ज्ञान चेतुआ... देख चेतुआ...
ख़बरें खासकर वह बासी खबरें... बासी नहीं तिबासी खबरें... होती सब बकबासी खबरें... करती बहुत उदासी खबरें... लद गये दिन...
होली खेली द्यूला हो... तुम लड़िया झन हो... तुम लड़िया झन नत होली खेली द्यूला हो।।टेक।। तुम तो लड़ाकू बड़े...
गं गं गणपति देवा.... जय गणपति महराज... गं गं गणपति देवा।।टेक।। सिद्ध करो महराज.... गं गं गणपति देवा।।टेक।। राखिय सबकी...
तू अड़ि मड़ि ऐसी तसि झन कीजै.... तेरी बक बकवास कि कूछै दिन रात तू अड़ि मड़ि ऐसी तसि झन...