बौणूमां आग ना रो हिलासी, बौण की । पीर सुण्योणी तेरी, भौण की।। बौण बचौण, आला क्वी । तेरी हर्याली...
युवा कवयित्री
तब ही अपना नववर्ष मने जब ऋतुराज बसंत छटा छलके , जब कुंज में पुष्प लता महके । जब यज्ञ...
नया साल.....चलो स्वागत करते हैं..... जिन्दगी का एक और वर्ष कम हो चला, कुछ पुरानी यादें पीछे छोड़ चला .....
तुम जैसे --- तुम जैसे - पुष्पों में सुगंध । तुम जैसे - कुंजों में बहार । तुम जैसे -...
आज भी ये हालात क्यों है औरत कमजोर मर्द हैवान क्यों हैमर्द की मार सेहना औरत का काम क्यों हैजब...
किसानतुमसे ही कुछ पैसे उधार लेकरवो तुम्हारे लिए ही अनाज उगाएगाखुद को वो तुम्हारा कर्जदार औरतुमको साहूकार बताएगा ।। सुबह...
नदी को चिट्ठी प्रिय अलकनंदा ,सस्नेह प्रणाम , कैसी हो तुम, कुछ दिन तुम्हें नहीं देखा तो तुम्हारी याद आने...
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं मैं बीती बातों का जिक्र करू तोकुछ दोस्त बहुत याद आते हैं वो साथ...
सूरज का सफर दिग -दिगंत युग आदि -अंत ,ले उर में जीवन को अनंत ।तप में हो मानो लीन संत...
" मां "एक ख्वाब सा है,तेरा मेरा साथ ।।हर जन्म का नाता है ,तेरा मेरा साथ।।मेरे हर दर्द की दवा...