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December 17, 2024

युवा कवयित्री प्रीति चौहान की कविता-तुम लड़की नहीं हो न

मुस्कुराते हुए चेहरे बड़ी संजिदगी से छुपा जाते है कई राज एक हल्की मुस्कान के पीछे दब जाते हैं.. कई...

तुम्हारे हर सपने पूरे नही होंगे तुम्हारे हर अपने अपने नही होंगे तुम्हारे हर फैसले सही नही होंगे तुम्हारे हर...

समाज ने सहर्ष स्वीकारा समाज ने सहर्ष स्वीकारा है, निरक्षर स्त्री को मगर नही स्वीकार कर पाया, पुरुषों से ज्यादा...

अपनी सहूलियत के हिसाब से हर शख्स अपना किरदार रखता है.. उड़ते परिंदो के लिए कोई बंदूक तो कोई पानी...

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