कभी-कभी लगता है प्रेम जैसी सरल भावना को कितना जटिल बना दिया गया है। जिसने भी प्रेम में पहले मरने...
युवा कवयित्री प्रीति चौहान की कविता-तुम लड़की नहीं हो न
जो तितलियों के पीछे कोसों दूर दौड़ती उनके रंगों को हाथों में छापती और फिर उस तितली को छोड़ देती...
मुस्कुराते हुए चेहरे बड़ी संजिदगी से छुपा जाते है कई राज एक हल्की मुस्कान के पीछे दब जाते हैं.. कई...
जब बचपन खो जाता है जब बच्चा बड़ा हो जाता है तब माँ याद आती है। जब चाँदनी रात मे...
तुम्हारे हर सपने पूरे नही होंगे तुम्हारे हर अपने अपने नही होंगे तुम्हारे हर फैसले सही नही होंगे तुम्हारे हर...
जिससे बिना झिझके दिल की हर बात कह सको जिसके साथ फुर्सतो में तुम रह सको जिसके साथ गम बांट...
समाज ने सहर्ष स्वीकारा समाज ने सहर्ष स्वीकारा है, निरक्षर स्त्री को मगर नही स्वीकार कर पाया, पुरुषों से ज्यादा...
माली देता है हर रोज पानी.. जो जनता है बिन पानी फूल नही खिला करते। वक़्त दिया करो हर रिश्ते...
मैं ज़िंदगी कहूँ तो तुम.. तुम्हे ही पुकारा गया, ये बात समझना। मैं खुशी कहूँ तो तुम.... तुम्हे देखने की...
अपनी सहूलियत के हिसाब से हर शख्स अपना किरदार रखता है.. उड़ते परिंदो के लिए कोई बंदूक तो कोई पानी...