न जाने क्यों मुझको वो ख़्वाब समझता है, झूठा है वो झूठ को रुआब समझता है। मिलता है सुकून, मैं...
पत्रकार दिनेश कुकरेती की उत्तराखंड के हालात बयां करती ग़ज़ल- हाकम की हाकिमी में जाहिल भी तर गए
आ घोटालों की जांच करें दो और दो को पांच करें जब तक हल्ला थमा नहीं यूं ही धुंआ और...
हाकम की हाकिमी में जाहिल भी तर गए, सपने हमारे आंखों ही आंखों में मर गए। हम सोचते रहे कि...