समर्पण जन्मी है जिस घर में बेटी किलकारियों ने रौनक उसकी बढ़ाई कोई कहता पैदा हुई है बेटी कोई कहे...
नारीमंच
जो कुछ भी बाह्य घटित हो रहा होता है, यदि मन की उससे सहमति न हो रही हो और मनुष्य...
अग-जग धूम मच रही देखो, लगती कितनी मनभावन होली मीठी -मीठी गुजिया, भुजिया संग भीगी -भागी सी मस्त है होली॥...
माँ तुम्हारें बिना सारी खुशिया बेमानी सी लगती हैं कितना मुश्किल है माँ माँ तुम्हारे से बिना कुछ कहे सुने...