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March 10, 2025

गढ़वाली गजल

दग्णु एक भलु दग्णु, मन्खि थैं कख-पौंछै दींद. एक बुरु दग्णु, मन्खि थैं कख- गिरै दींद.. जमीन से जुड़िक-खूब पढिक,अग्नै...

पेट कूणा-कचरा डब्बा नी-यो, यो- त्यारू पेट च. भ्वरद जांणी ये-जो, पेट च-कि इंडियागेट च.. खांणु-खांणा-तीन बग्ता नीम, पुरण्यूंल बड़ै,...

आजादी बड़ि कुर्बन्यूं से मिलीं आजादी, भलिके सम्माऴ देश रक्षा कि खातिर, द्वी कदम चलिके सम्माऴ तिल-मिल नि द्योखु वो...

अगोड़ि-पिछोड़ि इन्सान कु नाता-इन्सानियत से, अगोड़ि च. हमरु स्वार्थ-हमरु दुखड़ा, सब पिछोड़ि च.. कबि- नि रैंदू एक जगा, यो- चंचल...

तुम बि हीटा उनै आजा- लोग, भैंडि- आदतौं से- लाचार ह्वी. बात पीछा सब्यूंका, अलग-अलग बिचार ह्वी.. मुख समणि, एक...

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