चल अपना गों जोला वखी रोला वखी खोलाचल अपना गों जोला वखी रोला वखी खोलाहिंसर , काफल वख बांझ कु...
कविता
----माता के दरबार में-----अम्बे भवानी मातातू जग से निराली हैमाता के दरबार मेंआया सवाली है। नौ दिन नौ रात तेरेपूजन...
सृजन का बीजतम के खोल में छिपा 'सृजन का बीज'दरख्त होजाना चाहता है..चाहता अस्तित्व बनानाथाह पाना चाहता है..तम के खोल...
विषय ― भरोसाविधा ― छंद मुक्त बने झूठ के बडे पुलिंदे ,अंधकार सब ओर है ।झूठे रिश्ते ,झूठे नाते ,भ्रम...
कल्पना में तुमफूल सी खिलती रहो तुममेरे मन के बाग मेंज्योति सी जलती रहो तुममेरे मन के भाव में इक...
वैज्ञानिक दान ब्रह्मा बोले मनुज से दान तुम्हारा धर्मकर्मयोनि तुमको मिली समझो इसका मर्म स्मृतियों ने अबतक कहे अनेकविध हैं...
लगे भवानी लाडली ,गिरिनंदिनी राजकिशोरी ।मै तो तुझे मनाऊं माता ,सुन लो विनती मोरी ।। अहो सलोना रूप तेरा मां...
हे विशाल हे नगाधिराज ,विस्तृत हो छूते आकाश ।हे गिरीष हे तुंग शीश ,तुमसे ही मैं सम्मानिता ।। शत नमन...
मलिन मास गया,कोरोना का काल गया।नवरात्र के अवसर पर,मां भगवती का वास हुआ। शरद ऋतु का साथ मिला,वान पैंय्या का...
शिला-सागर संवाद"व्यर्थ तुम्हारा सारा श्रम है, भ्रम सब हो जायेगा दूरकितनी भी बलवान लहर हो कर दूँगा मद सारा चूरजाने...