पिता ऊँगली पकड़ कर चलना उन्होंने सिखाया बुरे अच्छे में फ़र्क करना भी उन्होंने सिखाया। दुसरो की खुशिओ को तबज्जू...
कविता
न निकले आंसू बेवजह आज दूरियां बनी है दिलों में, देख रहा मैं चारों ओर से। मैं तो बंधा रहूंगा...
बीती यादें कुछ यादें छोड़ पीछे, ये दौर भी गुजर जाएगा। शायद यकीन है मुझे, फिर से जहान मुस्कुराएगा।। दुखी...
न जानें इंसान क्यों बदल गया न धरती बदली, न आसमान बदला। न चांद बदला, न सूरज बदला। न तारे...
कद्र करना सीखो सख्ती सहन कर लो पिता की तुम, एक दिन काबिल बन जाओगे। गौर से सुनो बाते पिता...
भोलेनाथ तुम दया निधान आशुतोष तुम संकट हारी दया करो हे कृपा निधान भव भय भंजन सुख के धाम हे...
लिखूं या ना लिखूं लिखूं या ना लिखूं, आज के हालातों पर। कौन कौन है कसूरवार यहां, हवा की तलवार,...
चतुर्मास मे पपीहा प्यासा ! कोविड से छा गई निराशा। चतुर्मास में पपीहा प्यासा, कोविड से छा गई निराशा। सुबह...
ये कैसी करोना की हवा चली, इक भय बिखरा है गली गली। जब चारों ओर मरण का तांडव फिर बसंत...
मैं हार गया करुण रुदन आज न जाने उर में क्यों, हृदय को यथार्थता मिल गई सारी। जिसके लिए प्राण...