आस की डोर ममता के आदतन मजबूर मां ने रमाशंकर से कहा देखो रमा आज तुम्हारे भाई की तबियत खराब...
देहरादून
युग युग से हर नारी का है मन -मनोरथ स्वतंत्रता, समानता का समानाधिकार मिले समाज के हर एक पहलू और...
चेहरे हैं जाने पहचाने फिर भी हैं अनजाने लोग, कुछ हम उम्र नजर आते है कुछ हैं बहुत सयाने लोग।...
वक़्त ख़तों का अब रहा नहीं। ख़त लिखता कोई दिखा नहीं। रहता है सुबह से ख़तों का अब भी इंतज़ार...
उनसे पराजय सही न जाए। हार का ठीकरा औरों पर। डूब का माजरा छोरों पर। उनसे सच बात कही न...
ज़ख्म नमक छिड़क रहे हैं पहाड़ भी अब दरक रहे हैं। सागर भी अब सरक रहे हैं। ज़ख्मों ने अब...
झूठ है आदमी पनौती है। नाकामी का ठीकरा औरों पर मत फोड़िए। दिलों का बढ़े फ़ासला आज ज़िक्र वो छोड़िए।...
मेघों की खिड़कियों से सूरज ताका-झांकी करता । धूप की फरिया लगे फटी सी। जाड़े से वह लुटी लुटी सी।...
आश्वासन आश्वासन ही आश्वासन हैं। आश्वासन के ही शासन हैं। आदमी जो भी अधमरा है। खाकर हवा वो भुख़मरा है।...
लफ्जों की हेर - फ़ेर भी गज़ब हैं, कागज़ में आग का समुन्दर छिपा देती है, स्थिरप्रज्ञ बनना ही तो...