मातृभूमि के वीर जवान हे! मातृभूमि के वीर जवान, जज्बा इतना क्यों बड़ा है। वतन की खातिर ही तो आज,...
कविता
जरा संभल इंसान जरा संभल कर रह इंसान यहां, प्रकृति पर तेरा एहसान होगा। मत कर प्रकृति से छेड़छाड़ अब,...
मन की उलझनें जीवन की अनसुलझी उलझनें, क्यों आज मुझे उलझा रही हैं। निकलूं कैसे उलझनों के भंवर से, उलझनें...
ओ मेरे मीत ओ मेरे मीत! गाऊं मैं कैसे-कैसे तपती धूप के पसीने में उलझ जाते हैं मेरे गीत !!...
प्रेम का बीज बोकर तो देखो इस बंजर माटी में ए मानव तुम, प्रेम का बीज बोकर तो देखो। चारों...
जीवन झड़ पड़ता डाली से, मैं पतझड़ का पीला पात। इस जग में आया फिर मैं, लेकर फिर से नया...
क्यों कलम तोड़ने को आतुर मै भी रोज स्कूल जाना चाहूं, क्यों घर में कैद करने को आतुर तुम। मैं...
जब सरकार बड़ी है बेरोजगारी दूर होगी अब कैसे, डिग्रियां जब जेबों में पड़ी हैं। रोजगारी के सपने लेकर, आशा...
हंसना सिखाया मुझे पहाड की इन वादियों ने रोना सिखाया दुनिया के दर्द ने जीना सिखाया गुरु की अनन्त प्रेरणा...
कलियां, पुष्प और चन्द्र क्यों व्याकुल हृदय, तन वदन छूने को। कोमल कलियां हाथ गात लिए। पुष्प भी झुक गए,चन्द्र...