युद्ध था भीषण कठिन वह, शत्रु चोटी पर चढ़े थे। वीर अपने कष्ट में थे , शिखर के पेंदे खड़े...
कविता
नसुलझी गुत्थी मंजर तो बहुत देखे हमने, लम्हें ये बीत ही जाएंगे। अमल कर हर बात पर इंसान, क्या शत्रु...
स्वतन्त्रता सेनानी, अमर शहीद श्रीदेव सुमन नभ में हैं सेसी किरणें, तम धरा का जो मिटा लेती हैं। मानव में...
एक श्रद्धांजलि भागीरथी के बहाव को, तू सून रहा सुरक सुरक। जानबूझकर मौन होकर, तू देख रहा सुरक सुरक। जन्मभूमि...
श्रीदेव सुमन! शत् शत् नमन! तुम हिमालय के लाल जो बने टिहरी रियासत के काल सुमन जी ! तुम तो...
अज्ञानान्धकार तिमिर ये कैसा प्रसर रहा है मूढ़ मानव बन रहा है। अवनि भी अब रुठ रही है तरुणी निर्लज्ज...
वक्त तो गुजर जाता है वक्त तो गुजर जाता है, यूं कभी कहानी बनकर। अच्छी बुरी यादें रह जाती हैं,...
हम भी तो पत्थर जैसे पत्थर तेरी क्या गजब कहानी, कहीं तू इमारत की नींव बन बैठा। सहता गया छैनी...
एक अजब-सी उलझन में उलझी पड़ी हैं ज़िन्दगी न जाने की किस मंज़िल की तरफ भागे जा रहें न जाने...
क्या मेरे मन के आखर यूं ही क्या मेरे मन के आखर यूं ही, खुद में सिमटकर रह जाएंगे। लिखता...