सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणीः पुलिस अफसरों और सत्ताधारी दलों का गठजोड़ चिंता का सबब
सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के निलंबित अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक गुरजिंदर पाल सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। फिलहाल गुरजिंदर पाल को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि पुलिस उन्हें चार हफ्ते तक राजद्रोह और आय से अधिक संपत्ति के मामले में गिरफ्तार नहीं करेगी। इस संबंध में राज्य सरकार को नोटिस भी जारी किया गया है। साथ ही उन्हें अफसर को जांच में सहयोग करने को कहा गया है।
आइपीएस अफसर गुरजिंदर पाल के खिलाफ आइपीसी की धारा 124 A के तहत राजद्रोह और आय से अधिक संपत्ति के मामले दर्ज किए गए हैं। इस मामले में अफसर ने दो याचिकाएं दाखिल की हैं। एक याचिका में राजद्रोह के मामले को रद्द करने की मांग है। दूसरी में मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग है। इस दौरान अफसर की ओर से फली नरीमन ने अदालत को बताया कि अफसर को सरकार की ओर से परेशान किया जा रहा है।
छतीसगढ़ सरकार कीओर से मुकुल रोहतगी ने कहा कि चार्जशीट पिछले हफ्ते दाखिल की गई है। वे दो महीने से अंडरग्राउंड हैं। गुरजिंदर वरिष्ठ पुलिस अफसर हैं, फिर भी फरार हैं। उनके खिलाफ हिंदी में काफी सामग्री मिली है। ये याचिका निष्प्रभावी हो चुकी है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक गुरजिंदर पाल सिंह पर छतीसगढ़ पुलिस ने राजद्रोह का मामला भी दर्ज किया है। वहीं छत्तीसगढ़ सरकार ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में राज्य शासन ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक गुरजिंदर पाल सिंह को निलंबित कर दिया है।
राज्य सरकार ने अनुपात से ज्यादा संपत्ति अर्जित करने वाले भारतीय पुलिस सेवा 1994 बैच के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक गुरजिंदर पाल सिंह को निलंबित कर दिया था। इसमें ईओडब्ल्यू की ओर से छापेमारी के बाद भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1बी) 13(2) के तहत प्राथमिकी दर्ज किए जाने का हवाला देते हुए इसे अखिल भारतीय सेवा (आचरण) के खिलाफ माना गया। जीपी सिंह 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी है। वह निदेशक राज्य पुलिस अकादमी के पद पर पदस्थ थे। एसीबी और ईओडब्ल्यू की संयुक्त टीम ने एडीजी सिंह के निवास पर छापा मारा था। यह कार्रवाई करीब 64 घंटे तक चली थी। जानकारी के अनुसार, इस दौरान 10 करोड़ से अधिक की चल-अचल संपत्ति का खुलासा हुआ था। इस छापे की जद में एडीजी सिंह के करीबी लोग भी आए थे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।