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November 12, 2024

चुनाव में मुफ्त सुविधाओं के राजनीतिक दलों के वायदे पर सुप्रीम कोर्ट की चुनाव आयोग को फटकार, 17 अगस्त को अगली सुनवाई

चुनाव में मुफ्त सुविधाओं का वायदा करने वाली राजनीतिक पार्टियों की मान्यता रद्द करने की मांग वाली अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। अब इस मामले में अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी। आज सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने निर्वाचन आयोग को फटकार लगाते हुए पूछा है कि सभी राजनीतिक पार्टी चुनाव से पहले अपना मेनिफेस्टो आपको देती हैं? सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को फटकार लगाते हुए यह भी कहा कि हमें हलफनामा नहीं मिलता, लेकिन वो अखबारों को मिल जाता है और वहां छप भी जाता है। हमने आज हलफनामा न्यूज पेपर में पढ़ भी लिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

राजनीतिक पार्टियों द्वारा मुफ्त योजनाओं के ऐलान के खिलाफ बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दायर की है। उसमें कहा गया है कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान होता है। इसको लेकर जब कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा तो आयोग ने बताया कि फ्री योजनाओं को लेकर कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है। इसके साथ ही EC ने कोर्ट से कहा कि इसको लेकर एक कमेटी बना दी जाए, लेकिन हमें उस कमेटी से दूर रखा जाए क्योंकि हम एक संवैधानिक संस्था हैं।  (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बता दें कि चुनाव में फ्री योजनाओं को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्री रेवड़ी कल्चर कहा था। वहीं इसको लेकर आम आदमी पार्टी भी प्रधानमंत्री पर हमलावर है। आम आदमी पार्टी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा भी दायर किया गया है, जिसमें उसे भी पक्षकार बनाए जाने की मांग की गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस मामले में कपिल सिब्बल ने कहा कि यह एक जटिल मुद्दा है और आंकड़ों की जगह होनी चाहिए। उन्होंने सड़क पर चलने वाली एक महिला का उदाहरण दिया कि उससे जब पूछा कि कैसे यात्रा करती है तो उसने कहा कि बस की सवारी मुफ्त है। इसलिए मुझे समझ नहीं आता है कि फ्री योजना महत्वपूर्ण है या परिवहन क्षेत्र के नुकसान पर विचार करने की आवश्यकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि मेरे ससुर एक किसान हैं। कई साल पहले वे बिजली कनेक्शन चाहते थे, लेकिन सरकार ने नए बिजली कनेक्शन पर बैन लगा दिया था। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या हम हम याचिका दायर कर सकते हैं? ठीक एक सुबह सरकार ने फैसला लिया और जिन लोगों ने अवैध बिजली कनेक्शन लिया था, उन्हें नियमित कर दिया गया है। कतार में लगे लोगों को छोड़ दिया गया। मैं अपने ससुर को कोई जवाब नहीं दे सका। हम क्या संदेश दे रहे हैं? अवैध काम करने वालों को फायदा हो रहा है? इस पर सिब्बल ने कहा कि घरों को ढहा रहे हैं, लेकिन सैनिक फार्म को नहीं छू रहे हैं। इस पर सीजेआई ने उन्हें टोकते हुए कहा कि राजनीतिक मुद्दों में मत जाओ। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इसके बाद सीजेआई ने कहा कि इस मामले पर किसी प्रकार का श्वेत पत्र होना चाहिए। बहस होनी चाहिए. अर्थव्यवस्था को को धन की हानि हो रही है और लोगों का कल्याण, दोनों को संतुलित करना होगा। इसलिए हम कुछ समिति चाहते हैं। सीजेआई के प्रस्ताव पर कपिल सिब्बल सहमत हुए और उन्होंने कहा कि पेपर लाने के लिए थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। इस दौरान सीजेआई ने कहा कि कृपया अगले सप्ताह रिटायरमेंट से पहले मुझे कुछ सुझाव दें। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम मानते हैं कि यह मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण है और इसे राजनीति से अलग रखा जाना चाहिए। हम इस मामले को अगले सप्ताह किसी समय रखेंगे और और मेरी सेवानिवृत्ति से पहले तय करेंगे कि क्या किया जाना चाहिए।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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