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June 21, 2025

महाराष्ट्र में विधायकों की अयोग्यता पर तुरंत सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, स्पीकर को अयोग्यता पर फैसला लेने से रोका

महाराष्ट्र में बीते दिनों एकनाथ शिंदे की बगावत से आए सियासी संकट बाद सुप्रीम कोर्ट में टीम शिंदे और उद्धव खेमे द्वारा दायर याचिकाओं पर आज सुनवाई हुई।

महाराष्ट्र में बीते दिनों एकनाथ शिंदे की बगावत से आए सियासी संकट बाद सुप्रीम कोर्ट में टीम शिंदे और उद्धव खेमे द्वारा दायर याचिकाओं पर आज सुनवाई हुई। इनमें महाराष्ट्र में 16 शिवसेना विधायकों की अयोग्य का मामला है। विधायकों की अयोग्यता को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि विधायकों की अयोग्यता पर फिलहाल स्पीकर फैसला नहीं लेंगे। अदालत के फैसले तक स्पीकर के अयोग्यता पर कार्यवाही रुकी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट फिलहाल महाराष्ट्र मामले की तुरंत सुनवाई नहीं करेगा। सीजेआइ ने कहा कि इसके लिए बेंच का गठन करना होगा।
इस दौरान वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि कल अयोग्यता का मामला विधानसभा में सुना जाएगा। अगर कोर्ट आज सुनवाई नहीं करता तो कल स्पीकर उसे खारिज कर देंगे। जब तक कोर्ट सुनवाई नहीं करता, तब तक उन्हें निर्णय लेने से रोक दिया जाए। इस पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमण ने कहा कि स्पीकर को सूचित किया जाए कि वह अभी फैसला न लें। हालांकि, उन्होंने कहा कि यह समय लेने वाला मामला है। बेंच का गठन तुरंत नहीं हो सकता।
उद्धव गुट के सुनील प्रभु सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और अयोग्यता वाले मामले पर सुनवाई की मांग की। वहीं विधानसभा सचिवालय के प्रधान सचिव ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब देकर कहा था कि राहुल नार्वेकर स्पीकर बने हैं और उन्हें ही अयोग्यता के मामले पर सुनवाई करने दिया जाएगा। महाराष्ट्र विधानसभा के प्रधान सचिव राजेंद्र भागवत ने SC में जवाब दाखिल किया। जवाब में कहा कि 3 जुलाई को राहुल नार्वेकर को विधानसभा अध्यक्ष चुना गया है। अब उन्हें अयोग्यता का मसला देखना है। ऐसे में डिप्टी स्पीकर की तरफ से भेजे नोटिस को चुनौती देने वाली विधायकों की याचिका का SC निपटारा कर दे और नए स्पीकर को अयोग्यता पर फैसला करने दें।
इस दौरान डिप्टी स्पीकर ने बागी विधायकों को जारी अयोग्यता नोटिस को जायज ठहराया और कहा है कि उन्हें जवाब देने के लिए उचित समय दिया गया है। डिप्टी स्पीकर ने यह भी कहा है कि विधायकों द्वारा उन्हें हटाने का नोटिस अमान्य था। दरअसल, बागी गुट के विधायकों ने नोटिस जारी होने के बाद उन्हें हटाने के लिए याचिका दाखिल कर दी थी।
दूसरी ओर, मुख्य सचेतक सुनील प्रभु ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि दलबदल को पुरस्कृत करने का इससे कोई बेहतर तरीका नहीं है कि वह अपने नेता को मुख्यमंत्री का पद प्रदान करें। अदालत से निर्देश मांगा है। ताकि बागी विधायकों को तब तक निलंबित किया जाए जब तक कि अयोग्यता की कार्यवाही पूरी न हो जाए।
बता दें कि शिवसेना नेता और कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे ने बीते दिनों पार्टी के 37 से अधिक विधायकों के साथ बगावत कर दी थी। इस कारण राज्य में सियासी संकट आ गया। हफ्ते भर से अधिक चले सियासी खींचतान के बाद शिंदे ने बीजेपी के साथ हाथ मिलाकर सरकार बना ली। पार्टी से बगावत के बाद बनी सरकार में एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने। नई सरकार के गठन को उद्धव खेमे ने चुनौती दी। इसके बाद विधानसभा में एकनाथ शिंदे को फ्लोर टेस्ट से गुजरना पड़ा। फ्लोर टेस्ट में उन्होंने सफलता हासिल की।
हालांकि, उद्धव खेमे ने राज्यपाल को पूरे घटनाक्रम का जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि बागी विधायकों से संबंधित मामला कोर्ट में लंबित है। ऐसे में उन्होंने एकनाथ शिंदे के सरकार बनाने का न्योता किस प्रकार दे दिया। इस मामले में उद्धव खेमे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इसके अतिरिक्त नए स्पीकर राहुल नार्वेकर ने पद संभालते ही शिवसेना में बदलाव किए। उससे संबंधित एक मामला भी कोर्ट में लंबित है, जिस पर सुनवाई होनी है।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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