जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट तैयार, अब दशहरे के बाद से होगी सुनवाई

गौरतलब है कि अगस्त 2019 में केंद्र द्वारा जारी अधिसूचनाओं के लगभग 4 महीने बाद दिसंबर 2019 में 5 न्यायाधीशों के पीठ के समक्ष अनुच्छेद 370 के मामलों की सुनवाई शुरू हुई थी। मामले में एक प्रारंभिक मुद्दा उठा कि क्या 7 न्यायाधीशों की पीठ को मामले को भेजा जाना चाहिए, क्योंकि पांच जजों के दो पीठों की राय में मतभेद था। 2 मार्च, 2020 के एक फैसले में, संविधान पीठ ने माना कि अनुच्छेद 370 के तहत जारी राष्ट्रपति के आदेशों को चुनौती देने के मामले को एक बड़ी पीठ को संदर्भित करने की कोई जरूरत नहीं है। याचिकाओं पर 2 मार्च, 2020 के बाद से सुनवाई नहीं हो पाई है। फिर कोरोना के चलते अदालत में वर्चुअल सुनवाई शुरू हुई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अब कोर्ट याचिकाओं को कोल्ड स्टोरेज से बाहर निकालने पर राजी हो गया है। 5 जजों की संविधान पीठ के समक्ष याचिकाएं लंबित हैं। याचिकाओं में अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 (ए) को निरस्त करने को चुनौती दी गई है, जिसने 5 अगस्त, 2019 को राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से जम्मू और कश्मीर से विशेष दर्जा हटा लिया गया था। उनमें से कुछ राज्य के दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजन को भी चुनौती देते हैं। विभाजन 31 अक्टूबर को प्रभावी हुआ था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अनुच्छेद 370 की याचिकाओं में मुख्य याचिकाकर्ता नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद अकबर लोन हसनैन मसूदी, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन, पूर्व सैन्य अधिकारी और नौकरशाह, शेहला रशीद, वकील एमएल शर्मा, शाकिर शब्बीर एड शोएब कुरैशी हैं। केंद्र ने 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने वाली राष्ट्रपति की घोषणा को यह कहते हुए उचित ठहराया कि यह प्रावधान भारत के साथ जम्मू और कश्मीर के उचित एकीकरण की अनुमति नहीं देता है।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।