Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

December 22, 2024

इलेक्ट्रोरल बॉंड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई से पूछा-26 दिन तक क्या किया, आदेश का करना होगा पालन, लिफाफा खोलो

इलेक्टोरल बॉन्ड (चुनावी बॉन्ड) केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार 11 मार्च, 2024 को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने जब ब्योरा देने के लिए और वक्त की मांगा तो सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की। साथ ही कोर्ट ने दो टूक पूछा कि आखिरकार दिक्कत कहां आ रही है? सीजेआई ने कहा कि हमने आपको डेटा मिलान के लिए नहीं कहा था। आप आदेश का पालन कीजिए। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि आपको सिर्फ डेटा सील कवर से निकालना है और भेजना है। सीजेआई ने SBI ने पूछा कि आपने पिछले 26 दिनों में क्या काम किया, कितना डेटा मिलान किया। चुनावी बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने  SBI की याचिका खारिज करते हुए 12 मार्च तक ब्योरा देने के निर्देश दिए हैं। साथ ही EC को 15 मार्च तक ये ब्योरा पब्लिश करने के निर्देश दिए गए हैं।  (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सीजेआई ने ये भी कहा कि मिलान के लिए समय मांगना सही नहीं है। हमने आपको ऐसा करने का निर्देश नहीं दिया है। आखिरकार सारा ब्योरा मुंबई मुख्य शाखा में भेजा जा चुका है। आपने अर्जी में कहा है कि एक साइलो से दूसरे साइलो में जानकारी का मिलान समय लेने वाली प्रक्रिया है। सर्वोच्च अदालत ने इस दौरान न सिर्फ एसबीआई का आवेदन खारिज कर दिया, बल्कि कड़े शब्दों में चेताया कि अगर 12 मार्च 2024 तक उसे बैंक की ओर से डिटेल नहीं दी गई तो देश की सबसे बड़ी अदालत उसके खिलाफ अवमानना का केस चलाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा गया- हमने पहले ही एसबीआई को आंकड़ा जुटाने को कहा था। उस पर अमल किया गया होगा। फिर क्या समस्या आ रही है। हमने उसे व्यवस्थित करने के लिए नहीं कहा था। टॉप कोर्ट की ओर से आगे कहा गया कि जहां तक जानकारी है, उस हिसाब से आपके (बैंक) पास सील लिफाफे में सारी चीजें हैं। आप सील खोलिए और आंकड़ा उपलब्ध कराइए। इसमें कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सुप्रीम कोर्ट की ओर से ये टिप्पणियां तब की गईं, जब एसबीआई की तरफ से वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि हमने अतिरिक समय का अनुरोध किया है। हमने आदेश के मुताबिक, चुनावी बॉन्ड जारी करना भी बंद कर दिया है। हमें आंकड़ा देने में कोई समस्या नहीं है। हमें सिर्फ उन्हें व्यवस्थित करने में कुछ समय लगेगा। इसका कारण यह है कि हमें पहले बताया गया था कि यह गुप्त रहेगा। इसलिए बहुत कम लोगों के पास इसकी जानकारी थी। यह बैंक में सबको उपलब्ध नहीं था। एसबीआई ने सर्वोच्च अदालत में बताया कि बैंक को चुनावी बॉन्ड की जानकारी देने में परेशानी नहीं है, लेकिन उसे कुछ और वक्त चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ये गंभीर मामला है
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधान पीठ का आदेश है। सीजेआई ने कहा कि ये गंभीर मामला है। बैंक के एक सहायक महाप्रबंधक ने इस न्यायालय की संविधान पीठ के फैसले में संशोधन की मांग करते हुए एक हलफनामा दायर किया है। CJI ने कहा कि ECI के पास चुनावी बॉन्ड के बारे में डेटा और सारी जानकारी है। हम उन्हें इसे खोलने का निर्देश देते हैं। जस्टिस खन्ना ने कहा कि KYC पवित्र है। आप देश के नंबर 1 बैंक हैं, हम उम्मीद करते हैं कि SBI आगे आएगा और विवरण साझा करेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

चुनावी बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पिछली सुनवाई में राजनीतिक दलों के हरेक चुनावी बॉन्ड का नकदीकरण कराने का ब्योरा देने के लिए एसबीआई से कहा था। इसके बाद एसबीआई के 30 जून तक का समय मांगने के लिए याचिका दायर की थी, जिस पर सोमवार को सुनवाई हुई। चुनावी बांड की इस स्कीम को पिछले महीने ही सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया था। बता दें, यह सुनवाई प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों, जस्टिस संजीव खन्ना, बीआर गवई, जेबी पार्डीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ कर रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

आरोप है कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) जानबूझकर सर्वोच्च अदालत के फैसले की अवज्ञा कर रहा है। इसीलिए उसने सभी राजनीतिक दलों के चुनावी बांडों का ब्योरा 6 मार्च तक चुनाव आयोग को नहीं दिया है। एसबीआइ ने चार मार्च को शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसमें चुनावी बांड के विवरण का खुलासा करने के लिए 30 जून तक का विस्तार करने की मांग की गई थी। अब इस मामले में एडीआर ने एसबीआइ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अवमानना याचिका दायर कर दी है।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

+ posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page