आंदोलनकारियों की पत्रावली पर न्याय विभाग की प्रतिकूल टिप्पणी पर राज्य आंदोलनकारियों ने जताया आक्रोश
लंबे समय से अपने सम्मान की लड़ाई लड़ रहे आंदोलनकारियों की पत्रावली पर न्याय विभाग की ओर से पुनः प्रतिकूल टिप्प्णी की गई है। कार्मिक विभाग की ओर से तैयार की गई आंदोलनकारियों के 10 फीसद आरक्षण संबंधी फाइल न्याय विभाग ने आपत्तियों के साथ शुक्रवार देर शाम को वापस भेज दिया। इस पर राज्य आंदोलनकारियों में कड़ा रोष है। उन्होंने इस मामले में सरकार से कैबिनेट में फैसला लेने की मांग की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)आंदोलनकारी संयुक्त मंच की देहरादून स्थित शहीद स्मारक में हुई बैठक में कहा गया है कि शनिवार और रविवार को सचिवालय की छुट्टी है। सोमवार को कैबिनेट की बैठक है। अब देखने वाली बात यह है कि कार्मिक विभाग किस तरह से मुख्यमंत्री की ओर से आंदोलनकारियों को दिया गया आश्वासन पूरा करता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
साथ ही इस मामले में आंदोलन की रणनीति तय करने के लिए आंदोलनकारी संयुक्त मंच ने शनिवार 2 बजे एक आपातकालीन बैठक कर रविवार को शहीद स्मारक में बुलाई है। इसमें कहा गया है कि आरक्षम संबंधी मांग का अधिनियम अथवा नियमावली के पारित न होने की सूरत में आगामी रणनीति पर विचार किया जाएगा। आज की बैठक में अम्बुज शर्मा, बड़कोट से प्रताप सिंह चौहान, गणेश शाह, उपेंद्र दत्त सेमवाल, रविंद्र नाथ कौशिक, विनोद असवाल, सूर्यकांत बामराड़ा, प्रभात डंडरियाल आदि मौजूद थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने की कड़ी निंदा
उत्तराखंड कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं चिह्नित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप ने न्याय विभाग की ओर से उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारियों को दिए जाने वाले 10 प्रतिशत क्षैतीज आरक्षण पर की गई टिप्पणी को राज्य आंदोलनकारी विरोधी बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि लंबे समय से अपने सम्मान की लड़ाई लड़ रहे आंदोलनकारियों की पत्रावली को न्याय विभाग की ओर से ने कार्मिक विभाग को आपत्तियों के साथ लौटाना राज्य निर्माण आंदोलनकारियों का सरासर अपमान है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धीरेंद्र प्रताप ने आरोप लगाया कि इससे जाहिर हो गया है कि 21 नवंबर को होने वाली राज्य कैबिनेट की बैठक में भी अब 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण को लेकर कोई फैसला सरकार ले पाएगी, इसकी उम्मीद खत्म हो गई है। धीरेंद्र प्रताप ने इस मामले में कार्मिक विभाग की उदासीनता को दोषी ठहराया। कहा कि मुख्यमंत्री ने यदि इस कैबिनेट की मीटिंग में भी फैसला नहीं लिया तो राजा निर्माण आंदोलनकारियों को नई रणनीति बनाकर न संघर्ष की तैयारी करनी होगी। इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।




