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December 2, 2024

17 दिन के संघर्ष में बेटे ने जीती मौत से जंग, इंतजार में पिता हारे और तोड़ दिया दम

नियती को जो मंजूर है, उसे कोई नहीं रोक सकता है। बेटा उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल में भूस्खलन में फंसा हुआ था और परिजन उसके बाहर निकलने का इंतजार कर रहे थे। बेटे ने हिम्मत दिखाई और जिंदगी और मौत की लड़ाई को जीत लिया। इस बीच पिता बेटे के इंतजार में हार गए और बेटे के सुरंग से बाहर निकलने के कुछ ही घंटों पहले उन्होंने दम तोड़ दिया। ये कहानी है सिलक्यारा सुरंग में फंसने के 17 वें दिन बाहर निकले श्रमिक भक्तू मुर्मू की। वह झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले का रहने वाले हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

भक्तू जब मंगलवार 28 नवंबर रात सिल्कयारा सुरंग से सही-सलामत बाहर निकले, तो उन्हें पिता के निधन की जानकारी दी गई। पिता की मौत की खबर सुनते ही भक्तू फूट-फूटकर रोने लगे। पिछले 17 दिनों से वह सुरंग के भीतर फंसे रहने के दौरान भी इसी आस में थे कि जब वह बाहर निकलेंगे, तो पिता से उसकी मुलाकात होगी। मगर किस्मत में कुछ और लिखा हुआ था। सुरंग में भक्तू के अलावा पूर्वी सिंहभूम जिले के डुमरिया प्रखंड के भी छह मजदूर शामिल थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, 29 वर्षीय भक्तू पूर्वी सिंहभूम जिले के बांकीशील पंचायत स्थित बाहदा गांव का रहने वाले हैं। उसके 70 वर्षीय पिता बासेत उर्फ बारसा मुर्मू गांव में ही थे। वह हर दिन बेटे की सलामती की प्रार्थना करते रहते थे। मंगलवार सुबह नाश्ता करने के बाद वह खाट पर बैठे हुए थे कि नीचे गिरे और उनकी मौत हो गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वहीं, मजदूरों के परिजनों और ग्रामीणों का कहना है कि हादसा 12 नवंबर को हुआ, मगर उसके बाद भी इतने दिनों तक उनके दरवाजे पर कोई भी अधिकारी नहीं आया। किसी भी प्रशासनिक अधिकारी ने आकर उनसे उनका हाल-चाल नहीं पूछा। हर दिन भक्तू के परिवार को उदास करने वाली सूचना मिल रही थी। इसकी वजह बारसा भी सदमे में चले गए थे। बारसा की मौत से पूरा परिवार सदमे में हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ये है घटनाक्रम
गौरतलब है कि जनपद उत्तरकाशी के यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर धरासू एवं बड़कोट के मध्य सिल्क्यारा के समीप लगभग 4531 मीटर लम्बी सुरंग का निर्माण हो रहा है। इसमें सिल्क्यारा की तरफ से 2340 मीटर तथा बड़कोट की तरफ से 1600 मीटर निर्माण हो चुका है। इसमें 12 नवम्बर 2023 की सुबह सिल्क्यारा की तरफ से लगभग 270 मीटर अन्दर लगभग 30 मीटर क्षेत्र में ऊपर से मलबा सुरंग में गिर गया था। इसमें 41 व्यक्ति फँस गए। उसी दिन से श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू अभियान शुरु किया गया। टनल के अंदर फंसने वाले मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के थे। चारधाम रोड प्रोजेक्ट के तहत ये टनल बनाई जा रही है। मंगलवार 28 नवंबर की रात रेस्क्यू के 17वें दिन श्रमिकों को बाहर निकाल लिया गया।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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