शरद पवार ने जीपीसी जांच को लेकर बदले सुर, विपक्षी एकता की दुहाई, कहीं- पुराने मामले उठने पर तो नहीं मारी पलटी
अडानी-हिंडनबर्ग रिपोर्ट के मुद्दे पर जेपीसी जांच की जरूरत को लेकर अब एनसीपी प्रमुख शराद पवार ने सुर बदल दिए हैं। इस मुद्दे पर वह नरम पड़ गए हैं। एबीपी नेटवर्क के मराठी चैनल एबीपी माझा को दिए इंटरव्यू में पवार ने मंगलवार 11 अप्रैल को कहा कि अगर हमारे गठबंधन के साथियों को जेपीसी आवश्यक लग रही है तो हम उसका विरोध नहीं करेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गौरतलब है कि शरद पवार ने कुछ दिन पहले एक इंटरव्यू में कहा था कि अडानी समूह पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जरूरत नहीं है। उन्होंने इसके बजाय सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति का समर्थन किया। उनके साथ ही शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने भी ईवीएम से चुनाव कराने का समर्थन कर दिया था। इस पर दोनों चाचा भतीजे की किरकिरी होनी शुरू हो गई थी। सोशल मीडिया से लेकर कई मीडिया में उनके बयानों पर सवाल उठने लगे। चर्चा होने लगी कि कहीं ईडी और सीबीआई के डर से तो उन्होंने ऐसा बयान तो नहीं दिया, जैसा बीजेपी चाहती थी। दोनों की नेताओं पर लगे आरोपों को भी लोगों ने खंगालना शुरू कर दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अडानी के प्रति शरद पवार का ये था नरम रुख
शुक्रवार को एक टीवी चैनल से बातचीत करते हुए एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने अदाणी का समर्थन किया था। हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर पवार ने कहा था कि ऐसा लगता है कि अदाणी समूह पर विदेशी फर्म हिंडनबर्ग को जरूरत से ज्यादा महत्व दिया गया। बिना यह सोचे-समझे कि इससे देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा। मुझे ऐसा लगता है कि हिंडनबर्ग ने देश के एक औद्योगिक संस्थान को निशाना बनाया है। किसी ने इस फर्म का इस विवाद से पहले नाम नहीं सुना। मामले के कई पक्ष हैं। सभी पक्षों पर ध्यान देने की जरूरत है। विदेशी फर्म के अदाणी समूह पर आरोप के बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए अपनी निगरानी में जांच कमेटी बनाई। इसमें सेवानिवृत्त जज भी हैं। शीर्ष अदालत ने समयबद्ध रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है। इसके बाद जेपीसी गठन की मांग की आवश्यकता नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भतीजे ने भी बढ़ाई थी विपक्ष की मुश्किलें
एनसीपी प्रमुख शरद पवार के बाद अब उनके भतीजे एवं एनसीपी नेता अजीत पवार ने भी कांग्रेस के लिए चिंताएं बढ़ा दी हैं। अजीत ने शनिवार को ईवीएम से चुनाव कराने का समर्थन किया है। पवार ने कहा कि मुझे ईवीएम पर पूरा भरोसा है। इसमें हेरफेर करना संभव नहीं है। लोग चुनाव हार जाते हैं तो ईवीएम को दोष देने लगते हैं। उन्हें जनता का जनादेश स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर मशीनें खराब होतीं तो पश्चिम बंगाल और तेलंगाना सहित देश के अन्य राज्यों में विपक्षी दलों की सरकारें नहीं होतीं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पीएम की लोकप्रियता पर भी बोले पवार
पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ भी की। प्रशंसा करते हुए पवार ने कहा कि उनके नेतृत्व में भाजपा 2019 में सत्ता में लौटी। विभिन्न टिप्पणियों के बावजूद वह लोकप्रिय रहे। मोदी के नाम पर भाजपा 2014 में सत्ता में आई और उन्हीं के नाम की ताकत से दूर-दराज के इलाकों में पार्टी पहुंच पाई। उनके खिलाफ कई बयान दिए गए, लेकिन वह लोकप्रिय होते गए। उनके नेतृत्व में बीजेपी ने कई राज्यों में जीत दर्ज की। 2019 में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भाजपा 300 के आकड़े को पार कर गई। पवार ने पीएम के शिक्षा पर भी बात रखी। उन्होंने कहा कि राजनीति में शिक्षा सवाल नहीं है। इसका ज्यादा महत्व नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शरद पवार पर हैं कई आरोप
इन नेताओं के बयानों के बाद उन पर भ्रष्टाचार के आरोप भी दोबारा से सार्वजनिक होने लगे थे। यदि भ्रष्टाचार के मामलों की बात करें तो इसकी लपेट में महाराष्ट्र के कद्दावर नेता राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी एनसीपी के प्रमुख शरद पवार पर भी पी चिदंबरम की तरह ही बहुत अधिक भ्रष्टाचार के आरोप हैं। अब उनका खुलासा होना शुरू हो चुका है। ऐसे में उनका विपक्ष की लाइन से हटकर बोलने को भी इसी रूप में देखा जा रहा है कि कहीं उन्हें भी चुनाव से पहले ईडी और सीबीआई की गाज गिरने का डर तो नहीं सता रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये हैं आरोप
-मुंबई हाई कोर्ट ने मुंबई पुलिस को शरद पवार के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने को कहा है उन्होंने महाराष्ट्र के सहकारी बैंक में 1000 करोड रुपए का घोटाला किया था।
-शरद पवार पर अन्य घोटालों के मामलों में लवासा प्रॉपर्टीज का घोटाला शामिल है, जिसमें उन्होंने सस्ती दरों पर जमीन एक प्राइवेट कंपनी को दी और वहां से करोड़ों रुपए का मुनाफा कमाया।
– आरोप है कि कृषि मंत्री रहते हुए उन्होंने गेहूं की खरीद में ₹120000000 का घोटाला किया। साथ ही साथ उन्होंने उसने एक संबंधी की कंपनी से एक खराब तकनीक का गेहूं विकसित करवाया, जिससे सरकार को कई सौ करोड रुपए का नुकसान हुआ।
-इसके अलावा शरद पवार का नाम स्टांप पेपर घोटाले के मुख्य आरोपी अब्दुल करीम तेलगी के साथ भी जुड़ा हुआ है।
-साथ ही साथ 1993 बम धमाकों के मास्टरमाइंड दाऊद इब्राहिम कासकर सेविंग इन के पुराने संपर्क रहे हैं।
-यूपीए शासनकाल में इनकी सरकार में पकड़ मजबूत होने के कारण यह आज तक बजे रहे पर अब इन पर कार्रवाई शुरू हुई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अजीत पवार पर आरोप
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता, पार्टी सुप्रीमो शरद पवार के भतीजे और महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार का नाम भी भ्रष्टाचार के कई मामलों में लिया जाता है। हालांकि, एक दिन के लिए बीजेपी में जाने पर ही उन्हें 17 मामलों में क्लीन चिट मिल चुकी थी। 2019 में एक राजनीतिक उठापटक में अजित बीजेपी के साथ चले गए। पवार देवेंद्र फडणवीस के साथ जाकर गठबंधन कर लिया और खुद डिप्टी सीएम बन गए। इसके बाद घोटाले से जुड़ी सारी फाइलें बंद कर दी गई। बाद में अजित पवार बीजेपी छोड़ खुद की पार्टी में लौट आए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एनसीपी नेता अजित पवार और उनके परिवार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय की जांच चल रही है। ईडी के मुताबिक, कई बेनामी संपत्तियों के लिए गैर-कानूनी तौर पर पैसे लगाए गए, जिन्हें कुर्क भी किया गया था। इस मामले में ईडी का शिकंजा अजित पवार पर और कस सकता है। ऐसे में यदि अजीत पवार के सुर बदले तो इसमें कोई नई बात नहीं है। क्योंकि ईडी और सीबीआई का डर इन्हें भी सता रहा है। फिर भले ही विपक्ष की एकता को क्यों ना झटका दिया जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अब शरद पवार ने बदला मत
एक तरफ विपक्षी एकता की बात हो रही थी, ऐसे समय पर शरद पवार का बयान आने पर उनकी काफी किरकिरी होने लगी। शरद पवार ने अपना रुख बदला। उन्होंने एबीपी माझा से कहा कि हमारे गठबंधन के सहयोगियों का मत मुझसे अलग है। हमें एकजुट होकर काम करना हैय़ मैंने अपना मत सार्वजनिक तौर पर रखा अगर मेरे सहयोगियों को लगता है कि जेपीसी की जांच होनी चाहिए तो हम इसका विरोध नहीं करेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस ने भी जताई थी आपत्ति
पवार के इस बयान पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई थी। पार्टी ने बयान जारी कर कहा कि ये पवार के निजी बयान हो सकते हैं। पार्टी जेपीसी जांच की मांग करती है। अडानी समूह सभी आरोपों को निराधार बताती रही है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दावा किया था कि उनके साथ जेपीसी को लेकर 19 विपक्षी दल है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये था पूरा मामला
अमेरिकी संस्था हिंडेनबर्ग रिसर्च की कुछ सप्ताह पहले आई रिपोर्ट में अडानी समूह पर अनियमितता के आरोप लगाए गए थे और इसके बाद से कांग्रेस इस कारोबारी समूह पर लगातार हमले कर रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी का कहना है कि अडानी ग्रुप को फायदा बीजेपी और केंद्र सरकार के कारण मिला है। बता दें कि जेपीसी जांच को लेकर संसद के पूरे बजट सत्र में हंगामा रहा। कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल इस मुद्दों को लेकर बीजेपी और केंद्र सरकार पर हमला कर रही थी। दूसरी ओर बीजेपी राहुल गांधी से उनके लंदन में लोकतंत्र को लेकर दिए गए बयान पर माफी की मांग कर रही थी।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।