देहरादून में बुलडोजर अभियान के खिलाफ और विभिन्न मुद्दों को लेकर राजनीतिक दलों और संगठनों का सचिवालय कूच
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में चलाए जा रहे बुलडोजर अभियान के खिलाफ और विभिन्न मुद्दों को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने जुलूस निकालकर सचिवालय कूच किया। सचिवालय से कुछ पहले प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने रोक दिया। इस पर प्रदर्शनकारी सड़क पर ही बैठ गए। इस दौरान जनसभा का आयोजन किया गया। प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री एवं मुख्यसचिव के नाम संबोधित ज्ञापन नगर मजिस्ट्रेट प्रत्युष सिंह को सौंपा। इसमें मलिन बस्तियों में रहने वालों को मालिकाना हक देने, ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने की मांग के साथ ही अन्य कई स्थानीय समस्याओं के समाधान की मांग की गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है प्रकरण
गौरतलब है कि देहरादून में रिस्पना नदी किनारे रिवर फ्रंट योजना की तैयारी है। इसके तहत अवैध भवन चिह्नित किए गए हैं। ये भवन नगर निगम की जमीन के साथ ही मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की जमीन पर हैं। देहरादून में रिस्पना नदी के किनारे वर्ष 2016 के बाद 27 मलिन बस्तियों में बने 504 मकानों को नगर निगम, एमडीडीए और मसूरी नगर पालिका ने नोटिस जारी किए थे। इसके बाद नगर निगम ने सोमवार 27 मई से मकानों को तोड़ने की कार्रवाई शुरू की थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
504 नोटिस में से मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण ने 403, देहरादून नगर निगम ने 89 और मसूरी नगर पालिक ने 14 नोटिस भेजे थे। अब बड़े पैमाने पर एमडीडीए की ओर से कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इस अभियान के खिलाफ विभिन्न विपक्षी राजनीतिक दलों के साथ ही सामाजिक संगठनों की ओर से धरने और प्रदर्शन आयोजित किए जा रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आज प्रदर्शन में विभिन्न मजदूर संगठनों, राजनैतिक एवं सामाजिक संगठनों में सीटू, सीपीएम, चेतना आन्दोलन, एटक, सपा, सीपीआई, किसान सभा, महिला समिति, भीम आर्मी, महिला मंच, सर्वोदय मंडल, एसएफआई, उत्तराखंड आन्दोलनकारी संगठन, बसपा, बीजीवीएस से जुड़े कार्यकर्ता शामिल हुए। आन्दोलन को कांग्रेस ने भी अपना समर्थन दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गांधी पार्क से निकाला जुलूस
इससे पहले गांधी पार्क से दोपहर करीब 12 बजे जुलूस निकाला गया। घंटाघर, राजपुर रोड़, परेड ग्राउंड से होता हुआ जुलूस सचिवालय पहुँचा। सचिवालय के समक्ष आयोजित सभा में वक्ताओं ने कहा सरकार ने वायदा किया था कि पंचायत, चाय बगानों तथा बस्तियों में बसी आबादी को वह मालिकाना हक देगी। इसके लिये सरकार वर्ष 2016 में जन आन्दोलन के बाद 2018 में बस्तियों की सुरक्षा के लिए कानून लाई थी। ये कानून अक्टूबर 2024 तक प्रभावी है। बावजूद इसके अनेक बहाना बनाकर सरकार बस्तियों को उजाड़ने के लिए आमदा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बड़े लोगों के कब्जों को छोड़ दिया गया
वक्ताओं ने आरोप लगाया कि हाल में चूना भट्टा, दीपनगर, बारीघाट तथा काठबंगला आदि इलाकों के ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां कार्रवाई के नाम पर सिर्फ गरीबों के घरों पर ही बुलडोजर चला। सैकड़ों गरीबों को बिना पुनर्वास एवं मुआवजा दिये बेघरबार किया गया। वहीं, अभियान में रिस्पना के इर्दगिर्द बड़े लोगों, सरकारी कब्जों को छोड़ दिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सरकार की रिस्पना और बिंदाल नदी पर प्रस्तावित एलिवेटेड रोड़ के कारण हजारों परिवारों को बेघर होना पड़ेगा। इस योजना में पिछले 40 से पुरानी बसी आबादी को अतिक्रमणकारी कहा गया। इसका सीधा मतलब है कि भाजपा सरकार सीधेतौर पर प्रभावितों के पुर्नवास एवं मुआवजा की जिम्मेदारी से बच रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये हैं प्रमुख मांगे
-सरकार सभी गैर क़ानूनी ध्वस्तीकरण अभियान पर तुरन्त रोक लगाये। कोई भी बेदखली की प्रक्रिया कानून के अनुसार हो।
-तमाम गरीब व भूमिहीन लोगों की पुनर्वास की वयवस्था करने के बाद ही यदि आवश्यक हो तो सम्बन्धित स्थान से विस्थापित किया जाये। देश की आजादी के बाद हर देशवासी को, आवास, शिक्षा व रोजगार पाने का हक है। जनता द्वारा चुनी हुई सरकार का काम अपने दायित्वों का निर्वहन कर इसे पूरा करने का है। -जिन परिवारों के घरों को बिना कोई क़ानूनी प्रक्रिया अपनाते हुए तोड़े गए हैं, उनको मुआवज़ा उपलब्ध कराया जाये। जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाये। गब्बर सिंह बस्ती में बुलोडोजर अभियान दौरान दहशत में सोनम नाम की महिला की मौत हो गई, उसके परिजनों को समुचित मुआवजा दिया जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
-हाल के वर्षो में ग्राम पंचायत व नगरनिगम में जुड़े लोंगों के नोटिस निरस्त हों।
– सरकार अपने वायदे के अनुरूप सभी बस्तियों के मालिकाना हक के लिए कानून बनाये।
-एलिवेटेड रोड की आड़ में गरीबों को उजाड़ने की साजिश बन्द हो। इस योजना में पुर्नवास एवं मुआवजे का प्रावधान हो।
– रेहड़ी, पटरी, फैरी, फुटपाथ व्यवसायियों का सभी प्रकार का उत्पीड़न रोका जाए। वेंन्डरजोन बनने तक इन्हें यथावत रोजगार करने दिया।
-देहरादून की नदियों एवं नालों में होटल, रिसोर्ट, रेस्टोरेंट, सरकारी विभागों के अतिक्रमण पर भी कार्रवाई हो।
-गांधी पार्क कै निजीकरण के फैसले को वापस लिया जाये। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
-चन्द्र शेखर आजाद नगर (भट्टा) भूमि का अवैध हस्तानांतरण को रोका जाए, भूमि कब्जेदार के नाम की जाए।
-उत्तराखंड आन्दोलनकारियों के चिह्नीकरण की प्रक्रिया को पूरा किया जाए।
-भवन एवं अन्य सनिर्माण श्रमिकों की योजना में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं अनियमितताओं पर रोक लगे।
-आंगनवाड़ी, भोजनमाताओं, आशाओं, ई रिक्शा चालकों की समस्याओं का समाधान हो। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रदर्शन में ये रहे शामिल
प्रदर्शन का संचालन सीटू महामंत्री लेखराज ने किया। इस अवसर पर कांग्रेस की प्रवक्ता गरिमा दसौनी, सीपीआई से समर भंडारी, सपा के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. एसएन सचान, सीपीएम नेता सुरेन्द्र सिंह सजवाण, किसान सभा के महामंत्री गंगा धर नौटियाल, चेतना आन्दोलन के शंकर गोपाल, महिला समिति से इंदु नौडियाल, एटक के प्रांतीय महामन्त्री अशोक शर्मा, राष्ट्रीय उत्तराखंड पार्टी के नवनीत गुसाई, आंदोलनकारी परिषद से चिन्तन सकलानी, सर्वोदय मण्डल से हरबीर कुशवाहा, भीम आर्मी के प्रदेश अध्यक्ष गौरव कुमार, उपाध्यक्ष उमेश कुमार, आजम खान, बसपा से दिग्विजय सिंह, पूर्व जिलापंचायत अध्यक्ष शिवप्रसाद देवली, कर्मचारी नेता एसएस नेगी, बस्ती बचाओ आन्दोलन के संयोजक नरेंद्र सिंह, सीपीएम जिला सचिव राजेन्द्र पुरोहित, देहरादून सचिव अनन्त आकाश, शहर अध्यक्ष किशन गुनियाल, माला गुरूंग, प्रेमा, किरन, बिरजू, रघुवीर, विनोद बडोनी, सुनीता, पप्पू, अशोक कुमार, संजय, देवेन्द्र, अनवर, भगवंत पयाल, रामसिंह भण्डारी, हरीश कुमार, नुरेशा अंसारी, शबनम, सुरेशी नेगी, जानकी भट्ट, आंगनवाडी यूनियन से सुनीता, लक्ष्मी पन्त, रजनी गुलेरिया, इन्द्रैश नौटियाल, शैलेन्द्र परमार, एजाज, सुधा देवली, गुरुप्रसाद, मामचंद, शम्भु ममगाईं, याकूब ली, अभिषेक भंडारी, पंकज कुमार, गगन गर्ग, प्रभा देवी, ओमवती, ईश्वरी देवी आदि शामिल हुए। धरने का समापन किसान सभा के महामंत्री कमरूद्दीन ने किया।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।