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March 10, 2025

उत्तराखंड में 18 दिन के भीतर भूकंप का दूसरा झटका, दहशत में आए लोग

उत्तराखंड में मंगलवार 10 अगस्त की दोपहर करीब एक बजकर 42 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए। ये झटके देहरादून सहित कई हिस्सों में महसूस किए गए।

उत्तराखंड में मंगलवार 10 अगस्त की दोपहर करीब एक बजकर 42 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए। ये झटके देहरादून सहित कई हिस्सों में महसूस किए गए। इसका केंद्र देहरादून बताया गया। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 3.8 दर्ज की गई है। यह भूकंप 12 किलोमीटर डेफ्ट से आया भूकंप बताया जा रहा है। हालांकि, इससे किसी तरह के नुकसान की कोई खबर नहीं है। झटके महसूस होते ही लोग घरों से बाहर निकल आए। करीब 19 दिन के भीतर उत्तराखंड में ये भूकंप का दूसरा झटका है। इससे पहले 23 जुलाई की आधी रात के बाद यानी 24 जुलाई को एक बजकर 42 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 3.4 दर्ज हुई थी। भूकंप का केंद्र केदारनाथ के निकट उत्तरकाशी-रुद्रप्रयाग जनपद की सीमा पर धरती के दस किलोमीटर भीतर दर्ज किया गया है। अभी फिलहाल कोई नुकसान की सूचना नहीं आई है।
भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड
भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है। राज्य के अति संवेदनशील जोन पांच की बात करें इसमें रुद्रप्रयाग (अधिकांश भाग), बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिले आते हैं। ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी व अल्मोड़ा जोन चार में हैं और देहरादून व टिहरी दोनों जोन में आते हैं।
उत्तरकाशी और चमोली में आ चुके हैं बड़े भूकंप
उत्तरकाशी में 20 अक्टूबर 1991 को 6.6 तीव्रता का भूकंप आया था। उस समय हजारों लोग मारे गए थे। साथ ही संपत्ति को भी अत्यधिक क्षति हुई थी। इसके बाद 29 मार्च 1999 में चमोली जिले में उत्तराखंड का दूसरा बड़ा भूकंप आया। भारत के उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड) राज्य में आया यह भूकंप हिमालय की तलहटियों में 90 वर्षों का सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इस भूकंप में 103 लोग मारे गए थे।
जानिए क्यों बार-बार आता है भूकंप
पृथ्वी के अंदर सात प्लेट्स होती हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। इस दौरान जब बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं और नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं। इससे डिस्टर्बेंस होना शुरू होता है। इसके चलते ही बार-बार भूकंप आता है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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