स्वस्छता समिति घोटालाः दून नगर निगम के निवर्तमान पार्षदों को बचाने में जुटी सरकार- विनोद जोशी
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में नगर निगम में मौहल्ला स्वच्छता समिति में घोटाले के आरोप लगे थे। ऐसे आरोप मीडिया में भी आए और जांच की बात हुई, लेकिन जांच कहां तक पहुंची, ये आज तक किसी को पता नहीं है। ना ही 90 करोड़ के इस घोटाले के मामले में किसी पर कोई कार्रवाई ही हुई है। ये आरोप भी कई तत्कालीन पार्षदों पर लगे थे। इस मामले में आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर लड़ रहे देहरादून में कौलागढ निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता विनोद जोशी ने आरोप लगाया कि घोटाले के आरोपी निवर्तमान पार्षदों को बचाने में सरकार जुटी हुई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने आरोप लगाया कि नगर निगम के निवर्तमान बोर्ड के सबसे बडे घोटाले मौहल्ला स्वच्छता समिति में निवर्तमान पार्षदों पर जो 90 करोड़ के घोटाले के आरोप लगे, उसे सरकार रफा दफा करने में जुटी हुई है। शुरुआत से ही इस घोटाले की जांच की मांग उठती रही है, लेकिन लाख शिकायतों के बाद भी नगर निगम प्रशासन ने इस घोटाले की जांच नही करवायी। पूरे पांच साल ये फर्जीवाड़ा बदस्तूर जारी रहा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विनोद जोशी के मुताबिक, कई पार्षदों ने अपने नाते रिश्तेदारों, दोस्तों को कर्मचारी दिखाकर सफाई के नाम पर नगर निगम को खूब चूना लगाया। दो दिसंबर 2023 को नगर निगम बोर्ड का कार्यकाल खत्म होने के बाद सरकार ने प्रशासक की नियुक्ति की। प्रशासक के रूप मे तत्कालीन जिलाधिकारी सोनिका ने मौहल्ला समिति के कर्मचारियों का भौतिक सर्वे करवाया। सर्वे मे 200 से ज्यादा कर्मचारी गायब मिले। कई वार्डो मे कर्मचारियों की जगह कोई और काम करता पाया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ऐसे में नगर निगम प्रशासक एवं तत्कालीन जिलाधिकारी ने तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी झरना कमठान को सौपीं। मुख्य विकास अधिकारी की ओर से जांच मे पाया कि पार्षदों की ओर से 99 कर्मचारियों को फर्जी तरीके से वेतन दिया गया। प्रशासक एवं जिलाधिकारी ने मौहल्ला स्वच्छता समिति के अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, सचिव, वार्ड के सुपरवाइजर, निरीक्षक और पार्षदों से रिकवरी के आदेश दिए। इसके बावजूद आज तक किसी भी रिकवरी नही की गयी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने बताया कि मैने 16 जून 2024 को नगर निगम के लोक सूचना अधिकारी से रिकवरी के आदेश पर की गई कार्रवाई और फर्जीवाड़े के दोषी 99 कर्मचारियों के नाम व पते, वार्ड का नाम, पार्षद का नाम, सुपरवाइजर और सफाई निरीक्षक के नामो की सूचना मांगी। उन्होंने बताया कि एक जुलाई 2024 को लोक सूचना अधिकारी ने सूचना प्रेषित की। इसमें बताया गया कि कार्रवाई अभी गतिमान है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने बताया कि इस सूचना से असंतुष्ट होने पर मैंने अपीलीय अधिकारी के समक्ष अपील की। अपीलीय अधिकारी ने नौ अगस्त 2024 को अपील पर सुनवाई की और 10 दिन के अंदर सूचना देने के आदेश पारित किए। अपीलीय अधिकारी के आदेश के एक माह बाद भी मुझे सूचना प्राप्त नही हुई, तब मैंने 10 सितंबर 2024 को उत्तराखंड सूचना आयोग मे मुख्य सूचना आयुक्त के समक्ष अपील दायर की है। उन्होंने बताया कि मुझे लोक सूचना अधिकारी की ओर से सूचना प्राप्त हुई। इसमें बताया गया कि सूचना धारित ही नही है। ऐसे में कुलमिलाकर 90 करोड़ के मौहल्ला स्वच्छता समिति के घोटाले को दफना दिया गया।
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Chor hai sab ke sab jis parsad ke pass kabhi khud ki gadi nhi thi aaj wo Xuv 700 mai ghumta hai or too or 3cr ka ghar tak le liya are kaha se aya ye pesa koyi puche too sahi bjp parsad se